डीएनए हिंदी: ममता बनर्जी ने बुधवार को बीजेपी के सहयोगी और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा से लंबी मुलाकात की है. राज्यपाल जगदेव धनखड़ के साथ अक्सर विवाद की वजह से चर्चा में रहने वाली ममता ने उनसे भी मुलाकात की है. दोनों की मुलाकात का वीडियो भी राज्यपाल कार्यालय की ओर से शेयर किया गया है. इस बीच इस मुलाकात के सियासी मायने टटोले जाने शुरू हो गए हैं. हालांकि, मुलाकात के बाद टीएमसी सुप्रीमो ने स्पष्ट कहा है कि दोनों के बीच राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है.
TMC पूर्वोत्तर में बढ़ा रही अपनी मौजूदगी
2019 के लोकसभा चुनाव के पहले से ही ममता लगातार विपक्षी धड़े को एकजुट करने की कोशिश कर रही हैं. हालांकि, इस कोशिश में उन्हें खास कामयाबी नहीं मिली है लेकिन वह अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं. इसके अलावा, पूर्वोत्तर में बीजेपी लगातार मजबूत हो रही है और कांग्रेस का जनाधार घटता जा रहा है.
टीएमसी सुप्रीमो ने वाम धड़े के कांग्रेस में कमजोर होने के बाद से अपनी सक्रियता त्रिपुरा में बढ़ा दी है. गोवा और असम के चुनावों में भी टीएमसी ने अपनी तरफ से जोर लगाया था. असम के सीएम से मुलाकात के बाद फिर से अटकलें शुरू हो गई हैं कि ममता अपनी पार्टी को असम में विकल्प के तौर पर पेश करने की योजना को अमली जामा पहनाना चाहती हैं.
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हिमंत को शुक्रिया कहने के हैं मायने?
हालांकि, मीडिया से बात करते हुए बंगाल की मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि यह महज एक शिष्टाचार मुलाकात थी. ममता बनर्जी ने इस दौरान हिमंत बिस्व सरमा की तारीफ करते हुए कहा कि मुझे उनसे मिलकर बहुत अच्छा लगा है. मैं चाहती हूं कि दोनों राज्यों के बीच अच्छे संबंध रहें क्योंकि बंगाल के बहुत से लोग असम में रहते हैं.
उन्होंने असम के मुख्यमंत्री का शुक्रिया अदा करते हुए यह भी कहा कि कामाख्या मंदिर में दर्शन के लिए जब वह गई थीं तब असम के मौजूदा सीएम ने उनक काफी मदद की थी. ममता के सरमा को शुक्रिया कहने को राजनीतिक संकेत के तौर पर देखा जा रहा है. असम और बंगाल पड़ोसी राज्य हैं. बंगाल में असम के और असम में बड़ी संख्या में बंगाली बोलने वाले लोग हैं. ऐसे में इस मुलाकात के सियासी समीकरण तलाशने की ठोस वजह तो मौजूद है ही.
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