डीएनए हिंदी: दिल्ली नगर निगम (MCD Election 2022) के नतीजों में आम आदमी पार्टी (AAP) स्पष्ट बहुमत की ओर आगे बढ़ रही है. भारतीय जनता पार्टी बीते 17 साल से नगर निगम पर काबिज है. AAP बीजेपी के तिलस्म को तोड़ने में कामयाब हो गई है.
दिल्ली नगर निगम में कुल 250 वार्ड हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी 126 से ज्यादा सीटें हासिल करती हुई नजर आ रही है. मतगणना के दौरान अब लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि पार्षदों की सैलरी कितनी होती है. आइए जानते हैं.
कितनी होती है पार्षदों की सैलरी?
दिल्ली नगर निगम के पार्षदों को सैलरी नहीं मिलती है. आम आदमी पार्टी ने वादा किया था कि अगर एमसीडी चुनावों में जीत मिली तो पार्षदों की सैलरी नियमित की जाएगी. वैसे हर निगम में चुने गए एक पार्षद को अलग-अलग बैठकों के 300 रुपए मिलते हैं. पार्षद सामान्यतौर पर 6 बैठकें करता है. नगर निगम पार्षदों को दूसरे कई तरह के भत्ते मिलते हैं.
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MCD में नवनिर्वाचित पार्षदों को हर साल 1 करोड़ का फंड मिलेगा. इसी से उन्हें अपने इलाके में विकास कार्य कराने होंगे. पार्षदों को पैसे तभी मिलते हैं जब वे अपने इलाके में काम शुरू करते हैं. पार्षदों की कोई फिक्स सैलरी नहीं होती है.
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क्या होते हैं पार्षद के अधिकार?
पार्षद के पास स्थानीय स्तर पर कई अधिकार होते हैं. पार्षद छोड़ी सड़कों का निर्माण, अस्पताल की मेंटिनेंस, ड्रेनेज सिस्टम का प्रबंधन, बाजार, पार्क, पार्किंग स्थल, प्राथमिक स्कूलों के संचालन में दखल दे सकते हैं. उनके पास स्ट्रीट लाइट, रोड निर्माण कराने के भी अधिकार होते हैं. उनके पास अच्छा फंड होता है, जिसे वे विकास कार्यों के लिए खर्च कर सकते हैं.
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कैसे होता है मेयर का चुनाव?
एमसीडी के मेयर का चुनाव सीधे तौर पर नहीं किया जाता है. पार्षद मिलकर मेयर पद के वोट देते हैं. एमसीडी के चुनाव 5 साल में एक बार होते हैं. मेयर का चुनाव हर साल किया जाता है. पार्षद ही तय करते हैं कि मेयर कौन बनेगा. वोटिंग के जरिए ही मेयर का चुनाव होता है.
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