डीएनए हिंदी: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) के हजारों कर्मचारी छत्तीसगढ़ में कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे. मनरेगा के तहत ठेके पर रखे गए 12,371 कर्मचारी मांग कर रहे थे कि इनकी नौकरी पक्की की जाए. मांग न माने जाने पर इन सभी कर्मचारियों ने सामूहिक तौर पर इस्तीफा दे दिया है.
यह मामला शुरू तब हुआ जब मनरेगा योजना के तहत असिस्टैंट प्रोजेक्ट ऑफिसर (APO) के पद पर तैनात किए गए 21 लोगों को 3 जून को नौकरी से निकाल दिया गया. छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष टीकमचंद कौशिक ने कहा, 'हम लोग इस साल के अप्रैल महीने से ही प्रदर्शन कर रहे हैं. हमारी मांग है कि पेमेंट बेहतर हो और नौकरी पक्की की जाए.'
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नौकरी से निकाले जाने के खिलाफ शुरू हुआ प्रदर्शन
टीकमचंद ने आगे कहा, 'शुक्रवार शाम को राज्य सरकार ने अचानक 21 एपीओ को नौकरी से निकाल दिया. इसके विरोध में और अपनी मांग को मनवाने के लिए सभी 12,371 कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया है. इनमें, 9,000 रोजगार सहायक भी शामिल हैं.'
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उन्होंने आगे कहा कि सत्ताधारी कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में वादा किया था कि वह मनरेगा के कर्मचारियों को पक्का करेगी. अब सरकार बनने के बाद इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया. कौशिक ने आगे कहा कि हम अपनी नौकरी की सुरक्षा चाहते हैं क्योंकि हम अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा इस नौकरी के नाम कर दिया है.
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आपको बता दें कि मनरेगा कर्मचारियों का प्रदर्शन शुरू होने के बाद पिछले महीने भूपेश बघेल की सरकार ने कर्मचारियों के मानदेय को 5000 से बढ़ाकर 9540 रुपये कर दिया था. एक अधिकारी ने बताया कि इस मामले में एक कमेटी गठित की गई है, उसकी रिपोर्ट आते ही मनरेगा कर्मचारियों की मांगों पर फैसला लिया जाएगा.
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