National Emblem Controversy: अशोक स्तंभ को लेकर विपक्षी 'विशेषज्ञों' पर भड़की सरकार, कहा- शेर तो सारनाथ वाले ही हैं बस नजर का फर्क है

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 13, 2022, 11:08 AM IST

राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ

National Emblem Controversy: नए संसद भवन के ऊपर लगे अशोक स्तंभ को लेकर सोशल मीडिया पर विवाद बढ़ता जा रहा है. मोदी सरकार ने विपक्ष के उन आरोपों को सिरे से खारिज किया है जिसमें नए संसद भवन के ऊपर लगे अशोक स्तंभ के साथ छेड़छाड़ की बात कही गई थी. एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि दोनों आकृतियों में कोई अंतर नहीं है...

डीएनए हिन्दी: नए संसद भवन के ऊपर लगे अशोक स्तंभ (Ashok Stambh) पर बढ़ते विवाद के बाद केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) का बयान सामने आया है. हरदीप ने कहा कि सारनाथ के मूल अशोक स्तंभ और नए संसद भवन के ऊपर लगे उसकी प्रतिकृति में कोई अंतर नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर हम संसद भवन में लगे अशोक स्तंभ को मूल अशोक स्तंभ के बराबर कर दें दोनों में कोई अंतर नहीं दिखेगा.

ध्यान रहे कि नए संसद भवन के शीर्ष पर राष्ट्रीय प्रतीक (National Emblem) अशोक स्तंभ की स्थापना हुई है. 9,500 किलोग्राम का यह अशोक स्तंभ कांसे का बना है. इसका अनावरण सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने किया. अनावरण के साथ ही इस पर विवाद शुरू हो गया है. विपक्षी दलों के नेता और कई एक्टिविस्ट मूल नए अशोक स्तंभ की डिजाइन में छेड़छाड़ का आरोप लगा रहे हैं. हालांकि, सरकार ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है. वहीं एक्सपर्ट भी इन आरोपों को बेबुनियाद बता रहे हैं.

पुरी ने विरोधियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर सुंदरता देखने वालों की आंखों में 'झूठ' हो तो उन्हें शांत और क्रोध का फर्क नहीं पता चलता.

दोनों प्रतीकों की तुलना करते हुए हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि सारनाथ का अशोक स्तंभ 1.6 मीटर ऊंचा है. वहीं, संसद भवन पर लगा प्रतीक करीब 6.5 मीटर का है. हरदीप सिंह का तर्क है कि यह मूल अशोक स्तंभ की सटीक प्रतिकृति है. उन्होंने कहा, अगर मूल अशोक  स्तंभ के साइज में ही उसे बनाते तो और वहां स्थापित करते तो शायद ही वह लोगों दिखाई देता. हमें दोनों आकृतियों के एंगल, ऊंचाई और अन्य पैमानों के फर्क को ध्यान में रखकर तुलना करने की जरूरत है.

हरदीप सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि 'विशेषज्ञों' को यह भी पता होना चाहिए कि सारनाथ में रखा गया मूल आकृति जमीनी स्तर पर है जबकि नया प्रतीक जमीन से करीब 33 मीटर की ऊंचाई पर है. अगर कोई नीचे से संसद भवन पर लगे अशोक स्तंभ को देखता है तो यह उसे वैसा ही लगेगा जैसा सारनाथ का मूल अशोक स्तंभ है.

गौरतलब है कि सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की छत पर इस राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण किया था. जैसे ही सोशल मीडिया पर इस आकृति की तस्वीरें साझा की गईं बवाल बढ़ गया. कांग्रेस, आरजेडी और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने राष्ट्रीय प्रतीक के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाना शुरू कर दिया.

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार को यह जांच करनी चाहिए कि नए संसद भवन पर लगा राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ के मूल अशोक स्तंभ का प्रतिनिधित्व करता है या फिर वह उससे अलग है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि कृपया इसकी जांच करें और इसे जरूरत के हिसाब से सुधारें.

तृणमूल कांग्रेस के सांसद जवाहर सरकार ने कहा कि नए संसद भवन में स्थापित अशोक के शेरों को अनावश्यक रूप से आक्रामक और अनुपातहीन बनाया गया है.

इस पर बढ़ते विवाद के बाद एक्सपर्ट भी सामने आए हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक पूर्व सीनियर अधिकारी ने कहा कि शेरों की जो प्रतिकृति बनाई गई है वह सारनाथ के मूल शेरों की तरह ही है. यह एक बढ़िया प्रतिकृति है.

इस मुद्दे पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व एडीजी बीआर मणि ने कहा कि जब 7-8 फीट के अशोक स्तंभ की बात आती है और 20-21 फीट के, तो कलाकार के काम करने का तरीका और एंगल अलग होता है. अगर आप ऊंचाई पर स्थापित किसी भी वस्तु को नीचे से देखते हैं तो वह अलग ही दिखता है. लेकिन, मेरा मनना है कि इन दोनों में कोई खास अंतर नहीं है. यह मूल सारनाथ के अशोक स्तंभ की एक अच्छी प्रतिकृति है.

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