डीएनए हिन्दी: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) ने गुरुग्राम (Gurugram) में कचरे के प्रबंधन के काम को लेकर नाराजगी जताई है. एनजीटी ने पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के लिए हरियाणा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. सरकार को एक महीने के भीतर जुर्माने की राशि जमा करने का आदेश दिया गया है. साथ ही कूड़ा प्रबंधन का काम देख रही एजेंसी इको ग्रीन के कामकाज की समीक्षा के लिए हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष की अगुवाई में एक 9 सदस्यीय कमिटी गठित की गई है.
ध्यान रहे कि चीन की इको ग्रीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के खिलाफ ढेरों शिकायतें आ रही थीं. ये शिकायतें स्थानीय लोगों की तरफ से थीं. आरोप लगाया जा रहा था कि गुरुग्राम, दिल्ली से लेकर चंडीगढ़ तक प्रभावशाली लोग इस कंपनी की लापरवाही को संरक्षण दे रहे हैं.
एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की प्रधान पीठ ने हाल ही में अपने एक आदेश में कहा कि 7 दिसंबर 2020 को मुख्यमंत्री द्वारा एक बैठक और एक सीनियर आईएएस अधिकारी की नियुक्ति का कोई ठोस परिणाम नहीं निकला. वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की स्थापना के लिए 10 एकड़ जमीन सौंपने में 1 साल का समय लगा.
जिस याचिकी सुनवाई यह बेंच कर रही थी उसमें कहा गया है कि गुरुग्राम के बांधवारी लैंडफिल साइट पर करीब 33 लाख मीट्रिक टन ठोस कचरा इकट्ठा हो गया है. कचरे को प्रोसेस करने की बजाय उसे जलाया जा रहा है जिससे कि गुरुग्राम की हवा प्रदूषित हो रही है. इससे आम लोगों के साथ-साथ वन्य जीवों पर भी असर पड़ रहा है. ध्यान रहे कि इसे कुछ ही दूर असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य में 193 प्रजातियों की पक्षियां हैं. बड़ी संख्या में औषधिय पौधे हैं. दुर्लभ प्रजाति की तितलियां, काला हिरण, गोल्डर सियार और तेंदुआ भी हैं. इन सबको इस प्रदूषण से भारी नुकसान पहुंच रहा है.
इसके आलावा नेशनल ग्रीन ट्रब्यूनल ने इको एनर्जी कंपनी और हरियाणा सरकार की कई लापरवाही पर उन्हें फटकार भी लगाई.
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