डीएनए हिन्दी: लखनऊ में जिस 16 साल के किशोर ने अपनी मां की हत्या की, उसके कबूलनामे में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं. बेटे ने कबूला कि उसने अपनी मां को रात 3 बजे गोली मारी, लेकिन वह 10 घंटे तक तड़पती रही. यानी दोपहर 12 बजे तक वह जिंदा थी. इस दौरान बेटे ने कई बार दरवाजा खोला और मां को तड़पते देखता था और फिर दरवाजे को लॉक कर देता था. यही नहीं उसने पूछताछ में यह बताया कि कैसे पिस्टल निकाली और गोली मारी.
लखनऊ के यमुनापुरम कॉलोनी में मां की हत्या को आरोपित बेटे के बारे में नई जानकारी सामने आई है. बेटे शव को ठिकाने लगाने की भी कोशिश की. पूछताछ में पता चला है कि उसने मंगलवार की सुबह अपने दोस्त से मदद मांगी थी. जब उसने मना कर दिया तो उसने 5 हजार रुपये देने का भी लालच दिया.
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शव को ठिकाने लगाने के लिए दोस्त को दिया था लालच
पुलिस गुरुवार को यमुनापुरम कॉलोनी पहुंची और पड़ोसियों से बातचीत की. उस दौरान पता चला कि कॉलोनी में आरोपित के 17 वर्षीय दोस्त से उसने मंगलवार की सुबह यह कहा था कि मां की मौत हो गई है. किसी को बताना नहीं. शव को कहीं दफना देना है. दोस्त डर गया तो उसने 5 हजार रुपये का लालच भी दिया. हालांकि उसने यह नहीं बताया कि मां की हत्या खुद की है.
मां की हत्या का कोई पछतावा नहीं
किशोर की काउंसलिंग शुरू हो गई है. उसे मां की हत्या पर कोई पछतावा नहीं है. वह सामान्य रूप से नाश्ता कर रहा है. चाय पी रहा है. काउंसिलिंग के दौरान किशोर ने कहा कि उसे गुस्सा बहुत ज्यादा आता है. उसने कहा कि उसे कोई किसी बात के लिए मना करे तो उसे यह किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं. इस दौरान भी किशोर के चेहरे पर गुस्सा झलक रहा था.
इस बीच फॉरेंसिक टीम घर पहुंची. कुछ नमूने भी लिए.
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और यूं मां को मारी गोली
लखनऊ के एडिशनल डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (ADCP), काशिम अबिदी ने बताया की साधना सिंह की हत्या करने वाले उसके 16 साल के बेटे से दोबारा पूछताछ की गई. उन्होंने भी चौंकाने वाली बातें कहीं. पूछताछ में बेटे ने बताया कि वह मां के साथ सोया था. उसी कमरे की आलमारी में पिस्टल रखी थी. उसने पिस्टल निकाला और मां को गोली मारी.
मां के साथ बहन सोई हुई थी. उसने जिधर बहन सोई थी उसी तरफ से गोली मारा. गोली की आवाज सुनकर जब बहन उठी तो उसने उसका मुंह बंद कर दूसरी चेहरा दूसरी तरफ कर दिया. इसके बाद बहन को दूसरे कमरे में ले जाकर बंद कर दिया और उस दरवाजे को लॉक कर दिया.
समय पर इलाज मिलता तो जान भी बच सकती थी
काशिम अबिदी ने बताया कि घर से पीजीआई की दूरी सिर्फ 2 किलोमीटर थी. अगर समय पर इलाज मिल गया होता तो मां की जान भी बच सकती थी.
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