डीएनए हिंदीः श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmbhoomi) और शाही ईदगाह (Shahi Idgah) का मामला ऊपरी अदालत में सुना जाएगा या नहीं इसे लेकर थोड़ी देर में मथुरा की जिला कोर्ट सुनवाई करेगी. श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप की और से जिला जज में केस को ट्रांसफर करने को लेकर याचिका दाखिल की गई है. इस मामले में सिविल कोर्ट में सुनवाई की जा रही है जिसे जिला कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की गई है.
क्या है मामला
बता दें कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने मथुरा की सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में एक वाद दाखिल किया था. 2020 में दाखिल किए गए इस मामले में श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट की 13.37 एकड़ भूमि से शाही ईदगाह को हटाकर मुक्त किए जाने की मांग की गई थी. इस मामले को अब बड़ी अदालत में ट्रांसफर करने की मांग की गई है. इस मामले में कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई होनी थी लेकिन सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के हाजिर न होने के चलते सुनवाई टल गई थी. इससे पहले वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता के सुनवाई में शामिल ना होने के कारण उन्हें बाई हैंड नोटिस तामील कराया गया.
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श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद क्या है?
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि के मालिकाना हक को लेकर विवाद चल रहा है. इसमें से 10.9 एकड़ जमीन कृष्ण जन्मस्थान के पास है और बाकी 2.5 एकड़ जमीन ईदगाह मस्जिद के पास है. इस मामले में हिन्दू पक्ष का दावा है कि औरंगजेब ने मंदिर को तुड़वाकर ईदगाह मस्जिद का निर्माण करवाया था. इतिहास में दर्ज घटनाओं के अनुसार इस जगह पर कई बार मंदिर को तोड़ा और बनाया गया है. हालांकि मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने ही करवाया था. कोर्ट में दाखिल याचिका में पूरी जमीन लेने और श्री कृष्ण जन्मभूमि के बराबर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है.
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