मोदी नगर के इसी बरगद के पेड़ पर 100 क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने दी थी फांसी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 12, 2022, 09:24 AM IST

सिकरी खुर्द का महामाया मंदिर

दिल्ली से सिर्फ 40 किलोमीटर की दूरी पर एक ऐसा गांव है जहां अंग्रेजों ने बरगद के एक पेड़ पर 100 से ज्यादा लोगों को फांसी दे दी थी. मोदी नगर से सिर्फ 4 किलोमीटर दूर सिकरी खुर्द गांव का महामाया मंदिर के प्रांगण में खड़ा यह बरगद का पेड़ आज भी अंग्रेजी हुकूमत की बर्बरता की कहानी बयां कर रहा है...

डीएनए हिन्दी: देश आजादी के 75वें स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. सरकार इसे अमृत महोत्सव के रूप में मना रही है. ऐसे मौके पर आज हम दिल्ली से सटे मोदी नगर के आजादी के मतवालों की चर्चा करते हैं. राजधानी दिल्ली से सिर्फ 40 किलोमीटर दूर मोदीनगर से सटा एक गांव है सिकरी खुर्द. बताया जाता है कि आजादी की लड़ाई में यहां 100 लोगों को अंग्रेजों ने फांसी पर चढ़ा दिया था. उन्हें जिस पेड़ से लटकाया गया था, वह आज भी मौजूद है. गांव के महामाया देवी मंदिर में वह वटवृक्ष आज भी खड़ा, आजादी के उन मतवालों की कहानी सुना रहा है.

समय 1857 का था. देश में अंग्रेजों के खिलाफ बगावत शुरू हो चुकी थी. मेरठ बगावत का बड़ा केंद्र था. मेरठ के पास ही मोदी नगर से सटा सिकरी खुर्द गांव है. बताया जाता है कि इस गांव में भी क्रांति की ज्वाला भड़क उठी. अंग्रेजी फौजें उसे दबाने के लिए यहां पहुंच गईं. 30 से ज्यादा क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने गोलियों से भून दिया. वहीं, 100 से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों को गांव के वटवृक्ष पर लटकाकर फांसी दे दी गई. सरकार ने इस वटवृक्ष को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया है. 

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यह वटवृक्ष गांव के प्रसिद्ध महामाया देवी मंदिर के प्रांगण में है. इस मंदिर में हर वर्ष चैत्र महीने में मेला लगता है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं. गांव वालों का कहना है कि यह वटवृक्ष करीब 300 साल पुराना है. मेले में जो कोई आता है वह इस वटवृक्ष पर धागा जरूर बांधता है. कहा जाता है वास्तव ऐसा कर वे लोग आजादी के मतवालों को सच्ची श्रद्धांजलि देते हैं.

गांव वालों का कहना है कि ऐसा बलिदान देश में बहुत कम जगह पर देखने को मिलता है, लेकिन दुर्भाग्य है कि सरकार द्वारा इसे उपेक्षित रखा गया है. गांव वालों को कहना है कि इसे बच्चों के सिलेबस में लाना चाहिए, जिससे कि उन्हें राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा मिल सके.

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इसके पीछे की कहानी गांव वालों ने बताया. उनका कहना है कि 1857 में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत शुरू हो गई थी. सिकरी खुर्द में करीब 162 क्रांतिकारियों ने मोर्चा ले रखा था. यहां करीब 3 दिन तक युद्ध चला. अंग्रेजी फौजों से चारों तरफ से घिरता देखकर क्रांतिकारी मंदिर के तहखाने में छिप गए. लेकिन, अंग्रेजी फौजों ने सभी को अरेस्ट कर लिया. इस दौरान 30 क्रांतिकारियों को अंग्रेजी सिपाहियों ने गोलियों से भून दिया और 100 से ज्यादा लोगों को मंदिर प्रांगण के वटवृक्ष पर लटकाकर मार दिया.

अंग्रेज सिपाही यहीं नहीं रुके. उन्होंने तोप की मदद से सिकरी खुर्द गांव पर हमला बोला. बताया जाता है कि अंग्रेजों ने पूरे गांव को आग लगा दी.

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