वाराणसी में बाढ़ से बढ़ीं लोगों की मुश्किलें, अब डेंगू, मलेरिया का खतरा बढ़ा

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 31, 2022, 10:46 AM IST

वाराणसी का बाढ़

वाराणसी में बाढ़ से तो लोग परेशान हैं अब बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है. गंगा का पानी मुहल्लों में जमने की वजह से अब डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है. डेंगू के कई मरीज मिलने भी लगे हैं. पढ़ें हमारे रिपोर्टर अमित प्रकाश की रिपोर्ट...

डीएनए हिन्दी: उत्तर प्रदेश में नदियां उफान पर हैं. बाढ़ से प्रदेश की हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. वाराणसी में लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं रहे रही हैं. अब भी कई मुहल्लों में घरों की पहली मंजली पानी में डूबा हुआ है. लोग छतों पर रहने के मजबूर हैं. जहां एक तरफ बाढ़ से हालात बिगड़ते नजर आ रहे हैं वहीं, मौसम विभाग ने उत्तर प्रदेश में 3 सितंबर तक भारी बारिश का अलर्ट जारी कर दिया है.

वाराणसी में गंगा अब भी खतरे के निशान से 60 सेंटीमीटर ऊपर है. पिछले साल की अगर बात करें तो गंगा का अधिकतम जलस्तर 72.32 मीटर तक गया था. इस बार वाराणसी में गंगा और वरुणा में आई बाढ़ से 6,44,326 हेक्टेयर फसल और 31,588 लोग प्रभावित हुए हैं.

वाराणसी में बाढ़ का पानी कई इलाकों और कॉलनियों को डूबो चुका है. जहां-जहां पानी रुका है वहां पर अब बीमारियों का खतरा बढ़ गया है.

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शहर के कई इलाकों में पानी घुसने के बाद अब बिमारियों का खतरा लोगों को डराने लगा है. वाराणसी में डेंगू के 2 मरीज मिले हैं. शहर के टकटकपुर में 12 साल के बच्चे और सारनाथ का एक व्यक्ति डेंगू से पीड़ित है. दोनों को पंडित दीलदयाल अस्पताल में भर्ती कराया गया है. 

इससे पहले 2 और मरीज भी मिले थे. डेंगू के मामले मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है. स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने बनारस के बाढ़ प्रभावित इलाकों में पैराथ्रम और बिलीचिंग पाउडर का छिड़काव शुरू कर दिया है. जिला मलेरिया अधिकारी के मुताबिक खाली प्लाटों और मैदानों में एंटी लार्वा की लगातार फॉगिंग कराई जा रही है.

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14 हजार से ज्यादा लोग राहत शिविरों में विस्थापित
काशी में बाढ़ राहत के लिए 21 राहत चौकी बनाई गई हैं. राहत शिविर में करीब 14 हजार लोगों को विस्थापित किया गया है. बाढ़ से जिला के कुल 20 वार्ड, 116 ग्राम सभा प्रभावित हुए हैं. इसके साथ ही वाराणसी के सभी घाट और मंदिर भी जलमग्न हैं.

पानी का स्तर थोड़ा घटने से कुछ राहत तो मिली है, लेकिन अभी स्थिति पूरी तरह से सामान्य होने में 10 से 15 दिन से ज्यादा का वक्त भी लग सकता है. वाराणसी में गंगा किनारे रहने वाले बुनकर, फूल-माला और साधु-संतों को भी काफी मुश्किल हालात झेलने पड़ रहे हैं. ये लोग भी जैसे-तैसे राहत शिविरों में गुजारा कर रहे हैं.

NDRF की 11 टीमें बचाव में जुटीं
बाढ़ से बचाव के लिए NDRF और स्वास्थ्य विभाग की टीमें पूरे दिन काम कर रहीं हैं. बाढ़ प्रभावित मारुतिनगर, अशोकनगर, काशीपुरम सहित आस-पास के इलाकों में जरूरतमंदों को बाढ़ राहत सामग्री, पानी की बोतलें, ब्रेड के पैकेट, माचिस, मोमबत्ती इत्यादि आवश्यक सामग्री का वितरण लगातार किया जा रहा है.

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