Vyapam case: व्यापमं घोटाले में स्पेशल CBI कोर्ट का बड़ा फैसला, 5 आरोपियों को सुनाई 7 साल की सजा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 01, 2022, 06:15 PM IST

सांकेतिक तस्वीर.

Vyapam case: सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में निर्देश दिया था कि व्यापमं घोटाले में स्पेशल CBI कोर्ट का बड़ा फैसला, 5 आरोपियों को सुनाई 7 साल की सजा घोटाले से जुड़े सभी मामलों की जांच मध्य प्रदेश पुलिस सीबीआई को सौंप दे. इंदौर की CBI कोर्ट ने दोषियों को 7 साल की सजा सुनाई है.

डीएनए हिंदी:  मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के व्यापमं घोटाले (Vyapam case)से जुड़े पीएमटी फर्जीवाड़े (PMT Fraud)  के मामले में इंदौर की विशेष अदालत (CBI Special Court) ने पांच लोगों को शनिवार को सात-सात साल के कारावास सुनाई है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि हर दोषी को 10,000-10,000 रुपये जुर्माने के तौर पर देने होंगे. दोषियों में असली उम्मीदवारों के स्थान पर पर्चा देने वाले उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के दो फर्जी परीक्षार्थी (पेपर सॉल्वर) शामिल हैं.

स्पेशल पब्लिक प्रोसीक्यूटर रंजन शर्मा ने ने कहा है कि व्यापमं स्कैम के मामलों के लिए गठित स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार गुप्ता ने सत्यपाल कुस्तवार, शैलेंद्र कुमार, रवींद्र दुलावत, आशीष उत्तम और संजय दुलावत को मुजरिम करार देते हुए सजा सुनाई. 
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70 लोगों ने दी थी गवाही

रंजन शर्मा के मुताबिक अभियोजन की ओर से 70 लोगों की गवाही के आधार पर यह सजा भारतीय दंड विधान और मध्यप्रदेश मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों के तहत सुनाई गई. उन्होंने बताया कि तत्कालीन व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) के साल 2009 में आयोजित प्री-मेडिकल टेस्ट (PMT) में सत्यपाल कुस्तवार के स्थान पर शैलेंद्र कुमार और रवींद्र दुलावत के स्थान पर आशीष उत्तम शामिल हुआ था. 

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रंजन शर्मा ने बताया कि शैलेंद्र कुमार और उत्तम, दोनों उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने बताया कि मामले के मुजरिमों में शामिल संजय दुलावत 13 साल पुराने पीएमटी फर्जीवाड़े में असली और फर्जी उम्मीदवारों के मध्य बिचौलिये की भूमिका निभा रहा था. 

क्या है व्यापमं स्कैम?

साल 2013 में सामने आया व्यापमं घोटाला गिरोहबाजों, अधिकारियों और सियासी नेताओं की कथित सांठ-गांठ से राज्य सरकार की सेवाओं और पेशेवर पाठ्यक्रमों में सैकड़ों उम्मीदवारों के गैरकानूनी प्रवेश से जुड़ा है. समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक व्यापमं की आयोजित प्रवेश और भर्ती परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर धांधली सामने आने के बाद राज्य सरकार ने इसका आधिकारिक नाम बदलकर प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के साल 2015 में दिए गए आदेश के तहत व्यापमं घोटाले से जुड़े मामलों की जांच मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा सीबीआई को सौंप दी गई थी. 

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