डीएनए हिन्दी: बिहार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान नीतीश कुमार ने जोरदार भाषण दिया. उन्होंने बीजेपी और उसके वर्तमान नेतृत्व पर कई तंज कसे. उन्होंने कहा कि हमने उन्हें विपक्ष में छोड़ दिया है और 7 पार्टियां एक तरफ हो गई हैं. बीजेपी और अपने रिश्ते को लेकर कई बार उनका व्यक्तिगत दर्द भी छलका. उन्होंने सवालिया लहजे में बीजेपी से पूछा कि आज आप आजादी की 75वीं सालगिरह पर कह रहे हैं कि काम होगा,काम होगा लेकिन आजादी की लड़ाई में आप कहां थे? क्या आपने आजादी की लड़ाई लड़ी?
नीतीश कुमार ने अपने भाषण में सुशील मोदी को उपमुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने पर भी तंज कसा. उन्होने कहा उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी जी को नहीं बनाया गया. नंद किशोर यादव जी को भी मंत्री नहीं बनाया गया. सीनियर लीडर प्रेम कुमार को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई. नंद किशोर जी की जगह नितिन नवीन को मंत्री बनाया गया. मुझे पता चला है कि उनसे कहा गया कि जब तुम नीतीश कुमार पर हमला ही नहीं करोगे तो केंद्रीय नेतृत्व तुम्हें कैसे आगे बढ़ाएगा.
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अपने पुराने दोस्त और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह पर भी उन्होंने हमला बोला. नीतीश ने कहा कि जिस आदमी को हमने पार्टी में नीचे से ऊपर उठाया. 2020 में पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया. वह केंद्र में मंत्री बन गए और वहां से कहां गए आप सबको मालूम ही है. पार्टी में उस वक्त भी लोगों ने कहा था कि बहुत गलत हो रहा है. उस वक्त हमने ध्यान नहीं दिया, जब हमने ध्यान दिया तो वह चले गए.
बीजेपी नेता सुशील कुमार के उपमुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने पर भी नीतीश कुमार का दर्द छलका. उन्होंने कहा कि सुशील जी, प्रेम कुमार, राम नारायण मंडल, नंदकिशोर यादव, विनोद नारायण झा और भी कई सीनियर लोगों को मंत्री नहीं बनाया गया. यह सब गलत था.
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नीतीश ने अपने भाषण में केंद्र सरकार को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि आजकल दिल्ली में सिर्फ प्रचार होता है. सोशल मीडिया से लेकर प्रेस, सब चीजों पर दिल्ली का कब्जा है. सिर्फ उनका ही प्रचार होता है.
उन्होंने कहा कि हमने पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की मांग की थी, लेकिन मेरे प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया.
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नीतीश कुमार ने बिहार की चकाचक सड़कों का क्रेडिट लेते हुए कहा कि यह सब हमने बनवाया है. ये सड़कें केंद्र की योजनाओं से नहीं बनी हैं. नीतीश का कहना है कि हमने गांवों तक सड़कें पहुंचाई हैं. अब शायद ही कोई गांव बचा हो जहां सड़क नहीं पहुंची है.
नीतीश कुमार ने 2013 में बीजेपी से अलग होने का दर्द भी सुनाया. उन्होंने कहा कि अटल जी, आडवाणी जी, मुरली मनोहर जोशी जी सभी आप ही की पार्टी के नेता थे. ये सभी लोग मेरी बात सुनते थे और मानते भी थे. 2013 में अटल जी की तबीयत ठीक नहीं थी. बाकी के जो नेता थे उनकी बात होनी चाहिए थी. लेकिन, हमें दरकिनार किया जाने लगा. हमे हाशिए पर डालने की कोशिश हुई. तब जाकर हमने अलग रास्ता अपनाया.
नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि आज काम नहीं सिर्फ प्रचार हो रहा है. बिहार में बीजेपी ने रणनीति बनाई है जो मेरे खिलाफ बोलेगा उसको पार्टी में जगह दी जाएगी. आगे बढ़ाया जाएगा.
नीतीश ने कहा कि बीजेपी से अलग होने के बाद देशभर से फोन आ रहे हैं. लोगों की आमदनी घट रही है. लोगों की परेशानियां बढ़ रही हैं लेकिन बीजेपी प्रचार में लगी हुई है. उन्होंने सवालिया लहजे में बीजेपी से पूछा कि आज आप आजादी की 75वीं सालगिरह पर कह रहे हैं कि काम होगा,काम होगा लेकिन आजादी की लड़ाई में आप कहां थे? क्या आपने आजादी की लड़ाई लड़ी? बीजेपी वाले बापू को खत्म करना चाहते हैं. समाज में टकराव खड़ा करना चाहते हैं. लेकिन, हम सब एकजुट हैं, ऐसे नहीं होने देंगे.
उन्होंने मीडिया की आजादी पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि पहले प्रेस वाले इंडिपेंडेंट रहते थे, अब उनका क्या हाल है आपको मालूम ही होगा.
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