डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश में बीजेपी (BJP) ने अपने नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान कर दिया है और चौधरी भूपेंद्र सिंह (Chaudhary Bhupendra Singh) को यूपी के प्रदेश संगठन का मुखिया घोषित कर दिया है. प्रदेश की राजनीति में अचानक यह नाम पार्टी के लिए अहम बन गया है क्योंकि पार्टी प्रदेश के नए राजनीतिक समीकरण बनाने की कोशिश में है लेकिन इस समीकरण में फिट बैठने वाले चौधरी भूपेंद्र सिंह आखिर कौन हैं, यह जानना बेहद अहम है.
चौधरी भूपेंद्र सिंह फिलहाल उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath Government) सरकार में पंचायती राज मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे हैं. उनका जन्म 1966 में मुरादाबाद जिले के थाना छजलैट इलाके के ग्राम महेंद्री सिंकदरपुर में हुआ था. उनकी शुरुआती शिक्षा गांव के ही प्राथमिक स्कूल में हुई और फिर उन्होंने मुरादाबाद के आरएन इंटर कॉलेज से 12वीं की परीक्षा पास की थी.
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VHP से काफी पुराना है नाता
इसके बाद छात्र जीवन में ही वह विश्व हिंदू परिषद से जुड़े और फिर वर्ष 1991 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली थी. इसके दो साल बाद 1993 में वह भजापा की जिला कार्यकारिणी के सदस्य बने. वर्ष 2006 में उन्हें भाजपा ने मुरादाबाद का क्षेत्रीय मंत्री बनाया और फिर उन्हें 2012 में पार्टी का क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाया गया था. साल 2016 में चौधरी भूपेंद्र सिंह को बीजेपी ने MLC के लिए प्रस्तावित किया था.
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हार के बावजूद बीजेपी ने दिखाया विश्वास
चुनावों में हार के बाद भी बीजेपी ने उन पर अपना भरोसा कायम रखा. इस विश्वास का असर विधानसभा चुनाव में भी साफ़ देखने को मिला. भूपेंद्र सिंह चौधरी जाट बिरादरी से आते हैं और पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाटों पर उनकी काफी अच्छी पकड़ है. साल 2022 विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने चौधरी भूपेंद्र सिंह को दूसरी बार भी MLC नामित किया था. इस बार भी उत्तर प्रदेश सरकार में उनको पंचायती राज मंत्री बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है जो कि उनकी अहमियत को दर्शाता है.
जाट वोट बैंक पर निशाना
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में बीजेपी से जाट इस समय खफा हैं और पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों के लिहाज़ से रणनीतिक समीकरण बिठा रही है. भूपेंद्र सिंह चौधरी को यह जिम्मेदारी मिलने के बाद पश्चिमी यूपी की तकरीबन सात जाट बाहुल लोकसभा सीटों पर भाजपा को फायदा हो सकता है.
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इसी के साथ प्रदेश में भी पिछड़े वोट बैंक को साधने में पार्टी को काफी अधिक मदद मिल सकती है. जाट वोट बैंक के इस वर्चस्व के लिए ही बीजेपी ने भूपेंद्र चौधरी पर दांव खेला है.
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