डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र की राजनीति में इस वक्त सियासी भूचाल आया हुआ है. शिवसेना के 15 विधायक गुजरात पहुंच चुके हैं और उद्धव सरकार पर खतरा मंडरा रहा है. दूसरी तरफ बीजेपी एक्शन मोड में है और कांग्रेस-एनसीपी की कोशिश अपने विधायक बचाने की है. इन सबके बीच सबसे ज्यादा नाम चर्चा में हैं, वह है एकनाथ शिंदे का. ठाकरे परिवार के करीबी लोगों में शुमार शिंदे के लिए खुद उद्धव ठाकरे ने भावुक अपील कर लौटने की गुजारिश की है. एक नजर डालते हैं शिंदे के राजनीतिक करियर और व्यक्तित्व पर.
Shiv Sena के ताकतवर चेहरों में किए जाते हैं शुमार
एकनाथ शिंदे के बारे कहा जाता है कि वे ठाकरे परिवार के बाहर सबसे मजबूत ताकतवर शिवसैनिक हैं. उनकी बाल ठाकरे के दौर से शिवसेना में धमक रही है और कहा जाता है कि वह खुद उद्धव ठाकरे के काफी करीब है. 59 साल के शिंदे महाराष्ट्र सरकार में नगर विकास मंत्री हैं.
साल 1980 में वे शिवसेना से बतौर शाखा प्रमुख जुड़े थे. ठाकरे परिवार के लिए शिंदे की निष्ठा ऐसी थी कि वह पार्टी के लिए जेल भी जा चुके हैं. ठाणे की कोपरी-पांचपखाड़ी सीट से 4 बार विधायक चुने जा चुके हैं. उनकी पहचान हमेशा वफादार और ताकतवर शिवसैनिक की रही है.
यह भी पढे़ं: कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे 17 विधायकों के साथ नॉट रीचेबल? उद्धव सरकार की बढ़ीं मुश्किलें
मुख्यमंत्री पद के लिए भी आया था नाम
एकनाथ शिंदे की ताकत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 2019 में शिवसेना की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए उनकी भी नाम सामने आया था. उद्धव ठाकरे के सीएम पद संभालने को लेकर अटकलें जारी थीं और ऐसे वक्त में एकनाथ शिंदे का नाम सामने आ रहा था. हालांकि, आखिरी वक्त में तय हुआ कि उद्धव ठाकरे ही सीएम बनेंगे और शिंदे मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे.
ऐसा भी कहा जाता है कि शरद पवार और सोनिया गांधी उद्धव ठाकरे के नाम पर ही सहमत थे. ठाकरे परिवार खुद भी सत्ता के शीर्ष पद पर किसी अपने को ही देखना चाहता था और इन परिस्थितियों में सीएम कुर्सी से चूक गए थे. महाराष्ट्र की राजनीति के जानकारों की मानें तो आखिरी वक्त में हाथ से कुर्सी छिटक जाने की कसक शिंदे के मन में थी.
ठाणे क्षेत्र में हैं ताकतवर राजनीतिक हस्ती
एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के सतारा जिले के पहाड़ी जवाली तालुका से हैं. ठाणे शहर में आने के बाद उन्होंने 11वीं कक्षा तक मंगला हाई स्कूल और जूनियर कॉलेज, ठाणे से पढ़ाई की है. शिंदे के राजनीतिक वर्चस्व का इलाका भी ठाणे ही है. उनके बारे में यहां तक कहा जाता है कि शिंदे का प्रभाव कुछ ऐसा है कि लोकसभा चुनाव हो या निकाय चुनाव हमेशा इनका उम्मीदवार ही चुनाव जीतता आया है.
ठाणे में उम्मीदवार चुनने से लेकर, चुनाव प्रचार और रणनीति बनाने तक, हर कदम पर उनकी ही चलती है. शिंदे की पहचान क्षेत्र में सक्रिय रहने वाले नेता के तौर पर रही है. साथ ही, उनकी छवि एक दबंग नेता की भी है.
यह भी पढ़ें: देवेंद्र फडणवीस को क्यों कहा जा रहा बीजेपी का 'साइलेंट किलर', जानें इनसाइड स्टोरी
बेटा कल्याण से है सांसद
एकनाथ के बेटे श्रीकांत शिंदे भी शिवसेना के ही टिकट पर कल्याण सीट से सांसद हैं. अक्टूबर 2014 से दिसंबर 2014 तक महाराष्ट्र विधानसभा में वे विपक्ष के नेता रहे हैं. 2014 में ही महाराष्ट्र राज्य सरकार में PWD के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त हुए हैं.2019 में कैबिनेट मंत्री सार्वजनिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री (महाराष्ट्र सरकार) का पद मिला था.
BJP में जाने की अटकलें पहले भी थी
ऐसा नहीं है कि एकनाथ शिंदे की नाराजगी एकाएक सामने आई है. शिवसेना और बीजेपी गठबंधन सरकार के दौरान भी उनकी पार्टी हाईकमान से खटपट थी और खबरें आई थीं कि शिंदे बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. हालांकि, उस वक्त यह सब कोरी अफवाह ही साबित हुआ था.
बताया जा रहा है कि गठबंधन की सरकार में शिंदे खुद को ताकतवर महसूस नहीं कर पा रहे थे. कांग्रेस और एनसीपी ही नहीं बल्कि शिवसेना के साथ भी वह असहज महसूस कर रहे थे. पार्टी के अंदर खुद उन्हें अपना कद घटते हुए नजर आ रहा था. इन सब हालात में उनके सब्र ने जवाब दे दिया और उन्होंने बगावत कर ही दी है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.