डीएनए हिन्दी: उत्तर प्रदेश सरकार की नदियों में मछलियों (Yamuna) को छोड़ने की योजना को नोएडा में बड़ा झटका लगा है. सरकार ने नोएडा में यमुना नदी में 1.25 लाख मछलियां (1.25 Lakh Fish) छोड़ने की योजना बनाई थी. लेकिन, यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण और पानी में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए इस योजना को रद्द कर दिया गया है.
सरकार रिवर रेंचिंग प्रोग्राम (River Ranching Programme) के तहत मीठे पानी की तीन प्रकार की मछलियां रोहू, नैन और कतला को पाल रही थी. इन्हें यमुना में छोड़ने की योजना थी, लेकिन अब इन्हें हापुड़ के पास गंगा नदी में छोड़ा जाएगा.
गौतमबुद्धनगर के मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि नोएडा में यमुना में सितंबर तक 33,000 मछलियां छोड़ने की योजना थी और धीरे-धीरे 1.25 मछलियां यमुना नदी में छोड़नी थी. लेकिन, नदी में ऑक्सीजन इतना कम है कि मछलियों के जीवत रहने की संभावना न के बराबर है. इसीलिए इस योजना को बदल दिया गया.
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ध्यान रहे रोहू, कतला और नैन ये तीनों मछलियां मीठे पानी की हैं. ये तीनों एक सीमा से कम ऑक्सीजन वाले पानी में जीवित नहीं रह पातीं. इसी वजह से लखनऊ के मत्स्य पालन निदेशालय ने इन 1.25 लाख मछलियों को यमुना की जगह गंगा नदी में छोड़ने का फैसला किया है. इसकी जानकारी मत्स्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर रवींद्र प्रसाद ने दी.
मत्स्य पालन के इस केंद्र की शुरुआत प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana) के तहत की गई थी. इसका उद्देश्य नदियों के जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करना है. इसके तहत मछलियों को हैचरी में तब तक पाला जाता है जब तक इनकी लंबाई 80 से 100 मिमी तक न हो जाए. फिर इनको नदियों में छोड़ दिया जाता है.
नोएडा में करीब 50 किलोमीटर तक यमुना बहती है. यह भारत के सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है. यह इतना प्रदूषित है कि इसमें मीठे पानी की मछलियों के जीवित रहने की संभावना बिल्कुल कम है.
रवींद्र प्रसाद ने कहा कि पिछले कुछ सालों में मछलियों की आबादी नदियों में कम हो गई है. इसके कई कारण है. एक कारण मानसून के दौरान जब मछलियों के प्रजनन की अवधि होती है उसी दौरान उनको पकड़ने की गतिविधियां भी शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि मछलियों को छोड़ने से पहले इन नदियों के जल के प्रदूषण को कम करना होगा. इससे उनके बचने की संभावना बढ़ जाएगी. यह जलीय जैव विविधता को संतुलित करने के लिए बेहद जरूरी है.
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