तिहाड़ में भूख हड़ताल कर रहे Yasin Malik की तबीयत बिगड़ी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 26, 2022, 03:46 PM IST

यासीन मलिक (फाइल फोटो)

दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में पिछले 5 दिन से भूख हड़ताल कर रहे कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को ड्रिप (नलियों) के जरिए तरल पदार्थ दिए जा रहे हैं. मलिक ने रुबैया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में जम्मू की अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का अनुरोध किया था...

डीएनए हिन्दी: दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में पिछले 5 दिन से भूख हड़ताल कर रहे कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) को ड्रिप (नलियों) के जरिए तरल पदार्थ दिए जा रहे हैं. मलिक ने रुबैया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में जम्मू की अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का अनुरोध किया था, लेकिन केंद्र सरकार से इस पर कोई जवाब नहीं मिलने पर उसने भूख हड़ताल शुरू कर दी. मलिक इस मामले में आरोपी है.

प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक (56) ने शुक्रवार को सुबह भूख हड़ताल शुरू की थी. एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया, ‘कड़ी सुरक्षा के बीच जेल नंबर 7 में एक अलग कोठरी में रखा गया मलिक शुक्रवार की सुबह से कुछ नहीं खा रहा है. वह अब भी भूख हड़ताल पर है और डॉक्टर उसके स्वास्थ्य पर लगातार नजर रख रहे हैं. उसे रविवार से ड्रिप के जरिए तरल पदार्थ दिए जा रहे हैं.’ 

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ध्यान रहे तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के 8 दिसंबर, 1989 को हुए अपहरण से जुड़े मामले में मलिक आरोपी है. वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश के सामने पेश हुए मलिक ने कहा था कि वह रुबैया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में जम्मू की अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होना चाहता है. मलिक ने कहा था कि 22 जुलाई तक अगर सरकार ने इस संबंध में अनुमति नहीं दी, तो वह भूख हड़ताल शुरू करेगा. 

गौरतलब है कि मलिक को इस साल मई में दिल्ली की एक अदालत ने आतंकवाद का वित्तपोषण करने के मामले में दोषी ठहराया था. मलिक को विभिन्न अवधि की कारावास की सजा सुनाई गई थी और सभी सजाएं एक साथ चल रही हैं. एनआईए द्वारा 2017 में दर्ज आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में मलिक को 2019 की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था. 

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एनआईए की विशेष अदालत ने गत मई में उसे सजा सुनाई थी. रुबैया सईद का कथित तौर पर जेकेएलएफ के आतंकवादियों द्वारा अपहरण किया गया था. रुबैया को 5 दिन बाद 13 दिसंबर को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ाया गया, लेकिन इसके बदले बीजेपी द्वारा समर्थित तत्कालीन वीपी सिंह सरकार को जेकेएलएफ के 5 आतंकवादियों को रिहा करना पड़ा था.

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