UP Politics: चाचा शिवपाल को भारी पड़ने वाला है भतीजे अखिलेश के करीब आना, योगी सरकार देने वाली है बड़ी 'सजा'

Subhesh Sharma | Updated:Dec 02, 2022, 05:53 PM IST

अखिलेश यादव और शिवपाल यादव का करीब आना नहीं आ रहा योगी सरकार को रास

उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से राजनीति ले रही है नया रुख, जहां अलग हो चुके 'चाचा-भतीजा' एक बार फिर आ गए हैं साथ और योगी सरकार को ये नहीं आ रहा रास.

डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश में इन दिनों बिछड़े हुए दोबारा मिल रहे हैं और गिले शिकवे खत्म करने का दौर चल रहा है. चाचा और भतीजा की जोड़ी फिर से साथ आती दिख रही है और बिखर रही समाजवादी पार्टी को एकजुट करने में लगी है. सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद से ही अखिलेश यादव और शिवपाल यादव मुश्किल की घड़ी में साथ आए और अब एक साथ मिलकर ही पार्टी को आग बढ़ाने का काम भी कर रहे हैं. लेकिन इन दोनों को करीब आता देख योगी सरकार को रास नहीं आ रहा है. जो योगी सरकार अभी तक शिवपाल सिंह यादव को लेकर नर्म नजर आ रही थी. वही अब शिवपाल पर नकेल कसने की तैयारी में हैं.

छोटे नेता जी कहना और फिर पैर छूनाजो शिवपाल यादव कुछ समय पहले तक अखिलेश को देखना तक नहीं चाहते थे और उनपर पार्टी को हथियाने का आरोप लगाते थे. उन्हीं की नजर में नेता जी के चले जाने के बाद अखिलेश यादव छोटे नेता जी हो गए हैं. जब कि चाचा पर खार खाने वाले अखिलेश यादव ने उनके पैर छूकर ऐसे आर्शिवाद लिया, जैसे अब पिता को खोने के बाद चाचा ही उनके लिए सबकुछ हैं.

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भतीजे के करीब आने से कैसे बढ़ने वाली है शिवपाल के मुसीबतें

कोई भी सरकार ये नहीं चाहेगी कि विपक्ष कभी भी मजबूत हो और उसके सामने खड़ा होने की हिम्मत करे. ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश में योगी सरकार भी करने की कोशिश करती दिख रही है. जब से शिवपाल, अखिलेश यादव के करीब गए हैं. तभी से सरकार उनके खिलाफ सख्त होती दिख रही है. पहले शिवपाल यादव की सुरक्षा में कटौती की गई और अब उनसे सरकारी बंग्ला भी खाली कराने की तैयारी हो रही है. बताया जा रहा है कि शिवपाल को स्टेट प्रॉपर्टी डिपार्टमेंट से बंग्ला अलॉट हुआ था और इस अलॉटमेंट की फाइल पर से धूल हटाई जानी शुरू हो गई है. इसके साथ ही गोमती रिवरफ्रंट से जुड़ी फाइलों की भी फिर से जांच कराई जा रही है.

जब तक थे जुदा तब तक थी सरकार फिदा

शिवपाल सिंह यादव जब समाजवादी पार्टी से अलग हुए थे तो कई लोगों ने कहा था कि अब उनका करियर खत्म हो जाएगा, क्योंकि उन्हें साइडलाइन कर दिया गया है. लेकिन 2018 में जब वो सपा से अलग हुए और उन्होंने अपनी पार्टी बनाई तो ऐसे कठिन वक्त पर योगी सरकार ही वो थी, जिसने एक तरह से उनका साथ दिया था. जब कि अपनों ने तो खुद उन्हें बेदखल कर दिया था. योगी सरकार को शिवपाल की सुरक्षा की अचानक चिंता हो गई थी और उन्हें 'Z' सिक्योरिटी दी गई थी. साथ ही उनके रहने के बंदोबस्त में किसी तरह की कोई ना रहे इसके लिए लाल बहादुर शास्त्री मार्ग पर उन्हें आलीशान बंग्ला नंबर 6 भी दिया गया.

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अब क्यों आएं हैं अखिलेश-शिवपाल साथ

जब सब कुछ सही चल रहा था तो शिवपाल यादल अब अखिलेश यादव के करीब क्यों आए या फिर यूं कहें कि ऐसी क्या जरूरत पड़ गई कि दोनों ने एकदम से ही दुश्मनी भुला दी. इसे समझना कोई मुश्किल काम नहीं है, क्योंकि नेता जी के गुजरने के बाद अखिलेश और शिवपाल दोनों को ही समझ आ गया है कि समाजवादी पार्टी का वजूद बनाए रखना है तो दोनों को साथ में काम करना होगा. डिंपल यादव मेनपुरी उप चुनाव के लिए खड़ी हुईं तो उनका साथ देने अखिलेश और शिवपाल दोनों ही पहुंचे.

बंट चुके सपा कार्यकर्ताओं को मिला नया जोश

साथ आने के फैसले ने यकीनन समाजवादी पार्टी के बंट चुके कार्यकर्ताओं को भी फिर से नया जोश दिया है. वहीं यूपी सरकार को इससे सिवाए टेंशन के कुछ नहीं मिला. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्व सीएम अखिलेश यादव और फायर ब्रैंड नेता शिवपाल सिंह यादव दोनों की ही ताकतों को भली भांति समझते हैं. वो कभी नहीं चाहेंगे कि सपा परिवार एकजुट हो जाए. शिवपाल पर लिए जाने वाले एक्शंस की वजह यही मानी जा रही है.

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