दशहरे पर रावण का पुतला फूंकने पर हो कार्रवाई, FIR के लिए पुलिस के पास पहुंचा ये संगठन

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 04, 2022, 11:00 PM IST

सांकेतिक तस्वीर

आदिवासी संगठनों के मुताबिक, रावण आदिम संस्कृति का देवता थे. इसलिए उनके पूज्यनीय देवता को जलाना आदिवासी समुदाय की भावनाओं के खिलाफ है.

डीएनए हिंदी: देशभर में दशहरे पर रावण दहन की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. महाराष्ट्र में भी दशहरा रैली को लेकर शिवेसना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट तैयारियों में जुटे हैं. इस बीच रावण दहन को लेकर विरोध सामने आया है. महाराष्ट्र के नासिक में आदिवासी बचाओ अभियान समिति और आदिवासी संगठनों ने दशहरा पर रावण दहन करने वालों के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की है.

आदिवासी समिति और आदिवासी संगठनों ने पुलिस को इसके लिए ज्ञापन सौंप है और मांग की है कि दशहरा के मौके पर रावण नहीं जलाया जाना चाहिए. अगर ऐसा हुआ तो समझा जाएगा कि आदिवासियों पर अत्याचार को बढ़ावा दिया जा रहा है. आदिवासी संगठनों ने इसके पीछे तर्क भी दिया है. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में रावण के 352 मंदिर हैं. उनकी सबसे बड़ी मूर्ति मध्य प्रदेश में है. वहीं, महाराष्ट्र के अमरावती जिले और छतीसगढ़ के मेलघाट में जूलूस निकालकर रावण की पूजा की जाती है. 

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रावण जलाने की प्रथा बंद हो
आदिवासी संगठनों के मुताबिक, रावण आदिम संस्कृति का देवता थे. उनके पूज्यनीय देवता को जलाना आदिवासी समुदाय की भावनाओं के खिलाफ है. इसलिए किसी को रावण दहन की अनुमति नहीं देनी चाहिए. उन्होंने मांग की है कि इस प्रथा को बंद कर देना चाहिए. दशहरा के दिन जो भी रावण का पुतला जलाए उनके खिलाफ केस दर्ज होना चाहिए.

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यहां करते है रावण की पूजा
दशहरे के दिन रावण दहन की प्रथा हजारों साल से चली आ रही है. असत्य पर सत्य की विजय के तौर पर हर साल दशहरे पर रावण के पुतले का दहन किया जाता है. लेकिन एक ऐसी जगह है जहां रावण की पूजा की जाती है.कोलार में रावण की पूजा करने के पीछे कई लोक कथाएं प्रचलित हैं. कोलार में भगवान शिव की पूजा की जाती है और रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था. माना जाता है कि इसलिए लोग रावण की भी पूजा करते हैं. हालांकि रावण न जलाने के पीछे लोगों का यह मानना है कि पुतलों को आग लगाएंगे तो फसल को जलने का खतरा रहेगा. कर्नाटक में रावण का बहुत बड़ा मंदिर है और यहां पर मालवल्ली में भी रावण का मंदिर है. भारत में कर्नाटक ही नहीं कई जगहों पर रावण दहन नहीं किया जाता है.

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