क्या दिल्ली के शहरी जंगल को अपना घर बना रहे हैं तेंदुए? नई रिपोर्ट में ये बात आई सामने

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Oct 09, 2022, 08:23 PM IST

तेंदुआ

दिल्ली में तेंदुओं की कुछ तस्वीरें कैप्चर की गई हैं, जिनमें से 8 तेंदुए असोला भाटी अभयारण्य में पाए गए हैं.

डीएनए हिंदी: दिल्ली के असोला भाटी वाइल्डलाइफ अभ्यारण्य में कैमरे में आठ तेंदुए (Leopard) कैद हुए हैं. साथ ही 2-4 स्ट्राइप्ड लकड़बग्घा भी देखे गए. तेंदुए एक ही ट्रैक पर एक ही सप्ताह में एक बार या कभी-कभी दो बार भी घूमते हुए पाए गए हैं. इससे पता चलता है कि उन्होंने इस शहरी जंगल को अपना स्थायी घर बना लिया है. जून 2021 में शुरू किए गए अध्ययन का डाटा जिसे कैमरा ट्रैप का उपयोग करके एकत्र किया गया था. उसमें तेंदुओं की 111 तस्वीरें कैप्चर की. इन तस्वीरों में 8 तेंदुए असोला भाटी अभयारण्य में पाए गए, जो 32.71 वर्ग किमी में फैला है.

ये रिपोर्ट बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) और दिल्ली वन विभाग द्वारा असोला भट्टी अभारण्य जो कि दक्षिण दिल्ली के रिज का हिस्सा है, जिसे एक साल तक मॉनिटर करने के बाद पाया गया है. असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य (एबीडब्ल्यूएस) में तेंदुओं और अन्य स्तनधारियों की उपस्थिति और वितरण का documentation करने के लिए एक साल के अध्ययन के ऊपर निकाले गए रिपोर्ट के कुछ अहम भाग हैं.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि असोला भट्टी अभयारण्य अरावली में सरिस्का-दिल्ली वन्यजीव कॉरिडोर का भाग है , जो राजस्थान में सरिस्का टाइगर रिजर्व से दिल्ली रिज तक चलता है. इसमें कहा गया है कि असोला भाटी में तेंदुओं की मौजूदगी इस वन्यजीव कॉरिडोर के महत्व की ओर इशारा करती है.

जानवरों के अंदर फंसने का डर
बीएनएचएस के निदेशक सोहेल मदान ने कहा, 'स्टडी किए जाने के कारणों में से एक यह दिखाना था कि असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य एक इकोलॉजिकल द्वीप नहीं है. यदि आप एक अभयारण्य बनाते हैं, उसके चारों ओर एक चारदीवारी और रास्ते बनाते हैं, तो यह एक चिड़ियाघर की तरह हो जाता है, जहां जानवर अंदर फंस जाते हैं और लंबे समय तक रहने लायक नहीं रहते हैं. यह गलियारा सुनिश्चित करता है कि अभयारण्य एक द्वीप नहीं है.

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मदान ने समझाया कि अभयारण्य के कुछ क्षेत्र हैं जहां लकड़बग्घा तेंदुओं का अनुसरण करते हैं और साथ-साथ रहते हैं. उन्होंने कहा कि हाइना जैसे स्कैवेंजर तेंदुओं जैसे शिकारियों का पीछा करते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह समान शिकार के आधार को दर्शाता है जो आश्चर्य कि बात है.

नीली झील के पास पानी पीने आते थे तेंगुए
रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि अभयारण्य में स्थित नीली झील के आसपास का क्षेत्र उन क्षेत्रों में से एक है जहां तेंदुए अक्सर पानी पीने आया करते हैं. नीली झील जानवरों के लिए जल स्रोत होते हैं. तेंदुए आहार में ज्यादातर जंगल के बंदरों का शिकार करते हैं.

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