TMC के टिकट पर बांग्लादेशी महिला लड़ गई थी विधानसभा का चुनाव, हाई कोर्ट ने दिए जांच के आदेश

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 22, 2022, 09:19 AM IST

टीएमसी उम्मीदवार थीं आलो रानी सरकार

Alo Rani Sarkar TMC: टीएमसी उम्मीदवार आलो रानी सरकार के बारे में यह सामने आया है कि वह मूल रूप से बांग्लादेश की नागरिक हैं.

डीएनए हिंदी: पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में एक बाग्लांदेशी नागरिक के चुनाव लड़ने का मामला सामने आया है. आलो रानी सरकार (Alo Rani Sarkar TMC) ने साल 2021 में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के टिकट पर चुनाव लड़ा था. चुनाव में हारने वाली आलो रानी ने कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) में चुनाव के फैसले को चुनौती दी है. अब हाई कोर्ट ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं.

कहा जा रहा है कि आलो रानी सरकार का जन्म बांग्लादेश में हुआ था. वह 2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी के टिकट पर बनगांव दक्षिण सीट से चुनाव लड़ीं, लेकिन बीजेपी के उम्मीदवार से हार गईं. हारने के बाद उन्होंने हाई कोर्ट में इस चुनाव के नतीजों को चुनौती दी. बीजेपी के वकील ने हाई कोर्ट में कहा कि यह याचिका ही खारिज कर दी जानी चाहिए क्योंकि आलो रानी सरकार बांग्लादेशी नागरिक हैं और भारत में दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है.

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बांग्लादेशी प्रोफेसर से हुई थी शादी
आलो रानी सरकार को बीजेपी के स्वपन मजूमदार ने 2000 वोटों को अंतर से हरा दिया था. आलो रानी सरकार के पति डॉ. हरेंद्र नाथ सरकार, बांग्लादेश के बारीसाल में शेर-ए-बांग्लादेश मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर हैं. 

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान स्वपन मजूमदार ने एक बांग्लादेश का एक राष्ट्रीय पहचान पत्र पेश किया जो कि आलो रानी सरकार के नाम पर है. इसके मुताबिक, वह बांग्लादेश के बारीसाल जिले की मतदाता हैं. यह तथ्य सामने आने के बाद हाई कोर्ट ने कहा है कि आलो रानी सरकार की नागरिकता साबित की जाए.

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वकील का दावा- भारत में पैदा हुईं आलो रानी सरकार
यह मामला उठने के बाद बांग्लादेश के विभिन्न विभागों से भी मदद मांगी गई है. इसके जवाब में आलो रानी सरकार के वकील ने कहा है कि वह पश्चिम बंगाल के हुगली में 1969 में जन्मीं लेकिन डॉ. हरेंद्र नाथ से शादी के बाद वह 1980 में बांग्लादेशी नागरिक बन गईं. दोनों का वैवाहिक रिश्ता ठीक नहीं चला और आलो रानी ने डॉ. हरेंद्र नाथ को छोड़ दिया और वह भारत आ गईं.

आलो रानी के वकील का कहना है कि 2012 में बांग्लादेश की वोटर लिस्ट में उनका नाम गलती से आ गया था. आलो रानी ने खुद 2020 में बांग्लादेश के चुनाव आयोग से अपील की थी कि उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाए. हालांकि, हाई कोर्ट के आदेश में आलो रानी सरकार को जन्म से बांग्लादेशी नागरिक माना गया है.

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