डीएनए हिंदीः दिल्ली (Delhi) के प्राइवेट स्कूलों में EWS कैटेगरी में छात्रों को एडमिशन ना मिलने पर एक खबर सामने आयी है. जहां दिल्ली (Delhi) के स्कूलों में बच्चों के एडमिशन न लेने पर NCPCR ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है. इस पत्र में दिल्ली सरकार से उचित कानूनी हल निकालने के लिए कहा गया है. और साथ ही सात दिन में इस मामले में क्या कार्रवाई की गई है यह भी बताने के लिए कहा है.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अनुसार, पिछले दो सालों में दिल्ली में EWS कैटेगरी के तहत करीब 18000 बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन नहीं दिया गया. जबकि शिक्षा निदेशालय की ओर से EWS कैटेगरी में सीटें निर्धारित हैं.
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मुख्य सचिव से मांगा जवाब
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने दिल्ली सरकार (Delhi Government) के मुख्य सचिव (Chief Secretary) नरेश कुमार को लिखे पत्र में कहा है कि आरटीई 2009 के सेक्शन 12 (1)(c) के तहत लॉटरी प्रक्रिया के जरिए चयन होने के बावजूद EWS कैटेगरी के बच्चों को दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन नहीं मिल रहा है. इस मामले में आयोग को पहले भी कई बार शिकायतें मिल चुकी हैं. पत्र मे कहा गया है कि इससे संबंधित अधिकारी से इस संबंध में स्पष्टीकरण भी मांगा जा चुका है ताकि पता चल सके कि एडमिशन में देरी क्यों हो रही है.
करीब 40 हजार सीटें हैं आवंटित हैं EWS कैटेगरी के लिए
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें इस मामले की सुनवाई करने पर पता चला कि शैक्षिक सत्र 2021-2022 EWS कैटेगरी के बच्चों के दाखिले के लिए लगभग 40,000 सीटें आवंटित की गई थीं. लेकिन सिर्फ 28,000 बच्चों को ही दाखिला दिया गया. वहीं, 2022-2023 के शैक्षिक सत्र के लिए 33ं,000 सीटें आवंटित की गईं, जिसमें से 27,000 सीटों पर ही दाखिला हुआ है. साथ ही पिछले शैक्षिक सत्र के मुकाबले इस साल EWS कैटेगरी के लिए सिर्फ 33 हजार सीट ही आवंटित की गई हैं.
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आरटीई एक्ट के तहत सभी को शिक्षा का अधिकार
आयोग के अध्यक्ष कानूनगो ने कहा कि सभी को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का संवैधानिक अधिकार है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि सब स्कूलों का यह दायित्व है कि वे सामान रूप से सभी कैटेगरी के बच्चों को आरटीई (RTE) के एक्ट के तहत दाखिला दें. यह राज्य और केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों की पढ़ाई किसी भी रूप में बाधित ना होने दे. एक और खास जानकारी इस संबंध में है कि यदि कोई मामला न्यायालय में मामला लम्बित है तो उसकी सूचना आयोग को दी जाए ताकि आयोग इस मामले में हस्तक्षेप कर सके.
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