डीएनए हिंदीः उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ चल रहे बुलडोजर एक्शन (Bulldozer Action) पर उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा दिया है. उत्तर प्रदेश सरकार के इस हलफनामे में कहा गया है कि बुलडोजर की कार्रवाई में अवैध रूप से किये गए निर्माण को ढहाया गया है, सभी कार्रवाई नियमों के मुताबिक हुई है. बता दें कि उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ हो रही कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से बुलडोजर एक्शन पर जवाब मांगा था.
जमीयत उलमा ए हिन्द ने लगाया था बदले की कार्रवाई का आरोप
जमीयत उलमा ए हिन्द (Jamiat Ulema-e-Hind) ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के बुलडोजर एक्शन (Bulldozer Action) को मुसलमानों के खिलाफ एक तरफा कार्रवाई बताया था और इस पर रोक लगाने का अुनरोध किया था. अब योगी सरकार (Yogi Government) ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देते हुए जमीयत उलमा ए हिन्द के आरोपों को गलत और बेबुनियाद बताया है.
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योगी सरकार (Yogi Government) का कहना है कि सभी कार्रवाई नियमों को ध्यान में रख कर की गई हैं. सरकार ने हलफनामे में कहा है कि इस कार्रवाई के मामले में कोई भी प्रभावित पक्ष कोर्ट में नहीं आया है. राज्य सरकार ने कोर्ट से जमीयत उलमा ए हिन्द (Jamiat Ulema-e-Hind) की याचिका खारिज करने का अनुरोध किया है.
योगी सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 63 पेज का हलफनामा दिया है. जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष सचिव (गृह) राकेश कुमार मालपानी ने सुप्रीम कोर्ट में साक्ष्यों के साथ हलफनामा पेश किया है. इस हलफनामे में प्रयागराज (Prayagraj) में हिसा के मुख्य साजिशकर्ता जावेद पंप के खिलाफ हुए एक्शन को सही बताया गया है. आरोपी के घर पर लगे राजनीतिक दल के बोर्ड और नोटिस को भी हलफनामे के साथ दिया गया है.
हलफनामे में कहा गया है कि बुलडोजर एक्शन (Bulldozer Action) उत्तर प्रदेश में अवैध निर्माण को ढहाने के लिए काफी समय से चल रहा है. इस एक्शन को बदले की कार्रवाई बताना गलत है. सरकार ने हलफनामे में दो मामलों और जिक्र किया है. सरकार ने कानपुर (Kanpur) में हुए बुलडोजर एक्शन पर कहा है कि वहां बिल्डर ने खुद माना कि अवैध निर्माण हुआ था. वहीं प्रयागराज में हुए एक्शन पर सरकार ने कहा कि रिहायशी बिल्डिंग का प्रयोग पार्टी कार्यालय के रूप में किया जा रहा था. सरकार ने इस मामले में 10 मई को नोटिस भेजा था लेकिन नोटिस का जवाब नहीं दिया गया जिसके आधार पर 10 जून को निर्माण को ध्वस्त किया गया था.
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