'अध्यादेश में मुझे किया टारगेट तो राष्ट्रपति के पास भेजूंगा', केरल सरकार को राज्यपाल की चेतावनी

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Nov 13, 2022, 03:25 PM IST

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और सीएम पिनाराई विजयन

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि मैंने अभी अध्यादेश नहीं देखा है और ना पढ़ा है. अध्यादेश पढ़ने के बाद ही मैं इस संबंध में कोई फैसला करूंगा.

डीएनए हिंदी: केरल की पिनाराई विजयन सरकार और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Governor Arif Mohammed Khan) की बीच तकरार बढ़ती जा रही है. केरल सरकार आरिफ मोहम्मद खान को यूनिवर्सिटीज के चांसलर के पदों से हटाने की तैयारी कर रही है. इसको लेकर सरकार एक अध्यादेश लाने की तैयारी कर रही है. इस बीच राज्यपाल ने चेतावनी दी है कि अगर राज्य सरकार ने कोई अध्यादेश उन्हें निशाना बनाने के लिए राजभवन भेजती है, तो वह इस पर कोई निर्णय नहीं लेंगे और इसे राष्ट्रपति के पास भेज देंगे.

आरिफ खान ने शनिवार को कहा कि उन्होंने अभी अध्यादेश नहीं देखा है और उसे पढ़ा नहीं है. अध्यादेश पढ़ने के बाद ही वह इस संबंध में कोई फैसला करेंगे. उन्होंने कहा, ‘अगर निशाना मैं हूं तो मैं अपने स्वयं के मामले में न्यायाधीश नहीं बनूंगा. मैं इसकी घोषणा अभी नहीं करूंगा. मैं इसे देखूंगा और अगर मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचता हूं कि इसका उद्देश्य मुझे निशाना बनाना है, तो मैं इस पर निर्णय नहीं लूंगा, सीधा राष्ट्रपति के पास भेजूंगा.’ 

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इस बीच स्थानीय स्वशासन और आबकारी राज्य मंत्री एम बी राजेश ने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि राज्यपाल संविधान के अनुसार कार्य करेंगे. राजेश ने तिरुवनंतपुरम में कहा कि राज्य सरकार संविधान के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग कर इस अध्यादेश को लाई और फिर इसे राज्यपाल को भेजा. उन्होंने कहा कि यह कानूनी, संवैधानिक और नियमों के अनुसार है. अब हम केवल यह उम्मीद कर सकते हैं कि हर कोई संविधान के अनुसार कार्य करे.

राज्यपाल को चांसलर के पदों से हटाने की तैयारी
राजभवन के एक सूत्र ने बताया कि आरिफ मोहम्मद खान शनिवार शाम दिल्ली पहुंचे और दिन की शुरुआत में केरल में वामपंथी सरकार ने राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से राज्यपाल को हटाने के लिए अपना अध्यादेश राजभवन को भेजा था. केरल कैबिनेट ने नौ नवंबर को राज्य में कुलपतियों की नियुक्ति सहित विश्वविद्यालयों के कामकाज को लेकर आरिफ के साथ वाम सरकार की जारी खींचतान के बीच अध्यादेश लाने का फैसला किया था. 

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अध्यादेश का उद्देश्य प्रख्यात शिक्षाविदों को राज्यपाल के स्थान पर राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में नियुक्त करना है. पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली सरकार के फैसले का कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों ने विरोध किया है क्योंकि दोनों दलों ने आरोप लगाया है कि इस कदम का उद्देश्य केरल में विश्वविद्यालयों को कम्युनिस्ट केंद्रों में बदलना है.

(इनपुट- भाषा)

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