डीएनए हिंदी: Delhi News- प्रभु श्रीराम की झलक वैसे तो पूरी दुनिया में अलग-अलग रूपों में देखने को मिल जाती है, लेकिन मौजूदा विश्व के नजरिये से श्रीराम की क्या अहमियत है, इस पर एक्सपर्ट्स ने अपनी राय पेश की है. अयोध्या रिसर्च इंस्टीट्यूट (ARI) और दिल्ली के इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स (IGNCA) ने 'वैश्विक परिप्रेक्ष्य में श्रीराम' विषय पर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया, जिसमें एक्सपर्ट्स ने श्रीराम और उनसे जुड़ी घटनाओं पर अपनी राय पेश की.
लंका के संरक्षक देवता बने विभीषण
इंटरनेशनल एक्सपर्ट के रूप में आईं डॉ. पद्मा बोल्ट ने शुक्रवार को आयोजित कॉन्फ्रेंस में राम-रावण युद्ध के बाद की लंका में विभीषण की अहमियत पर विचार रखे. उन्होंने श्रीलंका की लोककथाओं के आधार पर विभीषण की अहमियत बताई और कहा कि उन्हें लंका का संरक्षक देवता माना जाता है. पद्मश्री चिरापट प्रपन्नविद्या ने थाई संस्कृति में राम की उपस्थिति पर बात की. उन्होंने थाईलैंड में रामायण संस्कृति से जुड़े पहलुओं से सभी को अवगत कराया. प्रो. संबत मंगमेसुक्षर ने रामायण संस्कृति को थाइलैंड की बौद्ध संस्कृति का आधार मानते हुए रामकथा के विभिन्न प्रसंगो का स्लाइड शो पेश किया. प्रो. विजय पंड्या ने वाल्मीकि रामायण का अनुवाद विभिन्न भाषाओं में करने पर जोर दिया. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसमें उद्धृत प्रसंगों को सही रूप में पेश किए जाने की जरूरत है.
इतिहास में स्टेट सिंबल वाला पहला राज्य था अयोध्या
चर्चित इंडोलाजिस्ट ललित मिश्र ने त्रेता युग के राम राज्य की संकल्पना पर रिसर्च पेपर पेश किया. उन्होंने सभी को दिखाया कि राम ने अयोध्या को आर्थिक शक्ति बनाने के लिए अधिक आय एवं कम व्यय का पहला स्टेट मॉडल पेश किया था. उन्होंने यह भी बताया कि विश्व के इतिहास में अयोध्या ऐसा पहला साम्राज्य था, जिसका एक स्टेट सिंबल कोविदार वृक्ष के रूप में प्राचीनकाल में ही बन चुका था. साधना योगलक्षमी ने संगीतमय रामायण की प्रस्तुति दी. पैनल डिस्कसन में डॉ. ओमजी उपाध्याय ने अयोध्या मंदिर निर्माण के प्रभाव पर और संस्कृत भारती के डॉ. दिनेश कामत ने संस्कृत भाषा में बोलते हुए कहा कि राम का जीवन भारत को जोड़ता है.
सीता जी के आदर्शों पर चलने की जरूरत
मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में पहुंचीं केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि सीता जी के आदर्शों पर चलने की जरूरत है. उन्होंने राम राज्य जैसे विषयों पर और ज्यादा रिसर्च करने के लिए उपस्थित लोगों को उत्साहित किया. IGNCA के मेंबर सेक्रेट्री डॉ. सच्चिदानंद जोशी जी ने कहा कि सबके अपने-अपने राम हैं, लेकिन हम सबको स्वयं में राम को तलाश करना होगा. कार्यक्रम का परिचय BVP के एचओडी प्रो. आर्य भूषण शुक्ल ने पेश किया. उन्होंने राम कथा के माध्यम से विभिन्न विपरीत हालात में संयम बनाकर कैसे आगे बढ़ा जाए का उदाहरण प्रस्तुत किया. ARI के डायरेक्टर डॉ. लवकुश द्विवेदी ने कहा कि रामकथा की व्याप्ति संपूर्ण विश्व में है जिसे मूर्त एवं अमूर्त कलाओं के विभिन्न माध्यमों से खोजने एवं सहेजने की आवश्यकता है. आयोजन में किरोड़ीमल कॉलेज के संस्कृत विभाग और श्यामा प्रसाद कॉलेज के कॉलेज फॉर वुमन और दिल्ली यूनिवर्सिटी ने भी सहयोग दिया.
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