डीएनए हिंदी: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दाखिल कर ताजमहल के 22 बंद कमरों को खोलने की मांग की गई है. यह भी कहा गया है कि इसके तथ्यों की जानकारी के लिए एक कमेटी का गठन किया जाए. कहा जा रहा है कि यहां वास्तव में हिंदू देवी-देवता का मंदिर था, जिसे तोड़कर ताजमहल बनाया गया.
किसने दाखिल की है याचिका
बीजेपी के मीडिया इंचार्ज और अयोध्या निवासी डॉ. रजनीश सिंह ने यह याचिका दाखिल की है. कोर्ट में एडवोकेट रुद्र विक्रम सिंह इस याचिका को पेश करेंगे.रजनीश सिंह का कहना है,'ताजमहल से जुड़ा यह विवाद काफी पुराना है. इसके 22 कमरों को बंद करके रखा गया है. इनमें किसी को जाने की इजाजत नहीं है. माना जाता है कि यहां हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं.'
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2020 में फाइल की थी RTI
कोर्ट की रजिस्ट्री में शनिवार को ही यह याचिका दाखिल की गई. रजिस्ट्री से पास होने के बाद इसकी सुनवाई संबंधित पीठ के सामने होगी. रजनीश सिंह ने यह भी बताया कि वह सन् 2020 से ताजमहल के इन 22 कमरों से जुड़े तथ्यों को सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने इसके लिए सन् 2020 में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में RTI भी दाखिल की थी. अब उन्होंने इससे जुड़ी जानकारी सामने लाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
ताजमहल नहीं तेजोमहालय!
याचिका में इतिहासकार पीएन ओक की किताब ताजमहल का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि ताजमहल वास्तव में तेजोमहालय है, जिसका निर्माण 1212 एडी में राजा परमार्दी देव द्वारा कराया गया था. बाद में जयपुर के महाराजा मानसिंह ने इसका संरक्षण किया. मुगल शासक शाहजहां ने मानसिंह से इस महल को हड़प लिया था. याचिका के जरिए एक कमेटी का गठन कर तथ्यों को सामने लाने की मांग की गई है. याचिका में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को विपक्षी पक्षकार बनाया गया है.
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