Jharkhand: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शिबू सोरेन की बढ़ी मुश्किलें, हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Oct 07, 2022, 08:53 PM IST

झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख शिबू सोरेन

Shibu Soren Case: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हाईकोर्ट ने 12 सितंबर को झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी.

डीएनए हिंदी: दिल्ली हाईकोर्ट ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के प्रमुख शिबू सोरेन (Shibu Soren) को शुक्रावर को नोटिस जारी किया है. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने हाईकोर्ट में सोरेन के खिलाफ 'भ्रष्टाचार' की उनकी शिकायत के आधार पर लोकपाल द्वारा शुरू की गई कार्रवाई पर रोक संबंधी उसके पहले के आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया है. जस्टिस यशवंत वर्मा ने सोरेन से दुबे की अर्जी पर जवाब दाखिल करने को कहा है. यह पूरा मामला आय से अधिक संपत्ति का है. अब मामले में अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी.

गौरतलब है कि करीब तीन हफ्ते पहले कोर्ट ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री को राहत देते हुए लोकपाल कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. शिबू सोरेन ने इस साल की शुरुआत में निशिकांत दुबे की शिकायत और उनके खिलाफ लोकपाल की कार्यवाही का विरोध करते हुए अदालत का रुख किया था. अदालत ने 12 सितंबर को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ लोकपाल की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. हालांकि, कोर्ट ने मामले पर विचार करने की आवश्यकता जताई थी. 

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जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा, ‘याचिकाकर्ता (सोरेन) को उस अर्जी के जवाब के लिए दो सप्ताह का समय दिया जाता है, जिसमें अदालत द्वारा दिए गए रोक को हटाने की मांग की गई है. बीजेपी नेता निशिकांत दुबे की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एएनएस नाडकर्णी ने कहा कि वह रोक के एकतरफा आदेश को हटाने की ‘मूल शिकायतकर्ता’ की ओर से मांग कर रहे हैं. 

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सोरेन पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप
दुबे ने अगस्त 2020 में की गई शिकायत में दावा किया था कि ‘‘सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों ने सरकारी खजाने का दुरुपयोग करके काफी धन-सम्पत्ति अर्जित की है और वे घोर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं.’ नाडकर्णी ने तर्क दिया कि अंतरिम आदेश ‘पूरी तरह से गलत बयानों’ के आधार पर पारित किया गया था. अपनी अर्जी में दुबे ने कहा है कि लोकपाल के समक्ष कार्यवाही ‘बहुत प्रारंभिक चरण’ में थी. अगर जांच में रोक से याचिकाकर्ता को अंतिम राहत मिलेगी और ‘तंत्र में जनता का विश्वास कम होगा’.

(इनपुट- भाषा)

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