Book Review: बालाकोट एयरस्ट्राइक: हाउ इंडिया एवेंज्ड पुलवामा, प्रत्यक्षदर्शी की आंखों देखी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 22, 2022, 10:57 PM IST

बालाकोट एयरस्ट्राइक के 3 साल बादआंखों देखा विवरण और उसके बाद की परिस्थितियों का विश्लेषण बालाकोट एयरस्ट्राइ: हाउ इंडिया एवेंज्ड किताब में है. 

-मनन भट्ट
बालाकोट एयरस्ट्राइक को 3 साल हो गए हैं लेकिन हर भारतीय को इस पर आज भी उतना ही गर्व है. भारत का हर नागरिक वायु सेना के इस शौर्य और पराक्रम को याद कर गर्व और खुशी से भर जाता है. 3 साल में देश में और सेना में बहुत कुछ बदला है. भारतीय सेना की क्षमता और दक्षता में पहले से विस्तार हुआ है. 

14 फरवरी 2019 को आतंकियों ने पुलवामा में भारतीय सुरक्षा बलों को निशाना बनाया था. इस आतंकी वारदात के बाद भारत ने 26 फरवरी को भारतीय वायु सेना के 12 मिराज फाइटर जेट लाइन ऑफ कंट्रोल पार कर पाकिस्तान में जैश ए मोहम्मद के ठिकानों पर कहर बनकर टूटे थे. भारत के पास खुफिया जानकारी थी कि आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद भारत में और फिदायीन और आतंकी हमलों की तैयारी कर रहा है. 

पाकिस्तान की सेना और राजनीति पर इस एयरस्ट्राइक का गहरा असर हुआ था. पाकिस्तान के लिए यह इतना बड़ा झटका था कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ कजम जावेद बाजवा, एयरफोर्स चीफ मार्शल मुजाहित अनवर खान और हेड ऑफ आईएसएस लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर ने तत्काल ही आपात बैठक बुलाई थी. 

भारतीय वायु सेना की सूझबूझ और बहादुरी ने पूरे पाकिस्तान में खलबली मचा दी थी. गुस्से में आर्मी चीफ ने कहा, 'दोबारा हमारी नाक काटकर ले गया.' पाक आर्मी पर यह सदमा इस कदर हावी हो गया कि उन्होंने पीएएफ चीफ को अगले ही दिन जवाबी कार्रवाई करने का आदेश दिया था. 

मोबाइल नेटवर्क और मीडिया ब्लैकआउट के बाद भी प्रत्यक्षदर्शियों के बयान एयरस्ट्राइक की पुष्टि कर रहे थे. बिसियान गांव और आस-पास के होटलों में काम करने वाले लोगों और ग्रामीणों ने घटना पर आंखो देखा बयान भारत के सच की गवाही देता है. इस हमले ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मानसेहरा जिले की पूरी बालाकोट तहसील को हिलाकर रख दिया था बिसियान ​​के ग्रामीण और दूसरे प्रत्यक्षदर्शियों ने हवाई हमले के प्रभावों को 5 रिक्टर पैमाने के भूकंपों के बराबर बताया था. यह तथ्य है कि जब भी कोई मिसाइल अपने लक्ष्य से टकराती है तो आस-पास जोरदार कंपन महसूस होता है. 

जीएचक्यू ने पाकिस्तानी सेना को हमले वाली जगह पर भेजा था जैश के आतंकी कैडरों तक राहत और बचाव कार्यों के लिए पास की एक सैन्य दस्ते के पास भेजा गया था.  उन्हें यूसुफ अजहर के बहुमंजिला आवासीय बंगले में रखा गया था. उनकी यह कोशिश काम नहीं आ सकी क्योंकि जब तक वे पहुंचे उनके पास कुछ भी नहीं बचा था. IAF के हमलों ने मरकज़ तालीम-उल-कुरान के प्रशिक्षण प्रमुख का नामो-निशान मिटा दिया था.

बालाकोट एयरस्ट्राइक ने भारतीय सेना के शौर्य और दुश्मन की धरती पर जाकर मार करने की क्षमता का प्रदर्शन किया था. पाकिस्तान ने एक नया तरीका खोजा है. ड्रोन के जरिए भारत में ड्रग्स और हथियारों की खेप पहुंचाने का. उनके आतंकियों का एक ही लक्ष्य है जम्मू-कश्मीर में अशांति और अस्थिरता फैलाना. भारत ने सीमा के आसपास के क्षेत्रों में डिजिटल निगरानी बढ़ाई है. 

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद 5 अगस्त 2020 को भारत ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 भी हटा दिया है. इसके बाद से पाकिस्तान की सेना के साथ आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का तालमेल चालू है. आतंकी संगठन की कोशिश आज भी कश्मीर में अंसतोष भड़काना और भारत की चुनी हुई सरकार को पड़ोसी देशों के साथ बातचीत के लिए मजबूर करने की कोशिश है

2019 के बाद से कश्मीर घाटी में आतंकियों की संख्या में लगातार गिरावट हुई है. 2019 में 421 आतंकियों की संख्या घटकर 300 हो गई थी और  2020 में यह और कम होकर 270 तक पहुंच गई थी. रिपोर्ट्स के अनुसार, 2021 में घुसपैठ की 33 कोशिशें हुई थी. भारत ने पाकिस्तान बॉर्डर और एलओसी के पास अपनी तकनीक खासी मजबूत की है और इसका नतीजा घुसपैठ की संख्या में गिरावट के तौर पर नजर आ रहा है. 

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