केंद्र सरकार ने वक्फ एक्ट, 1995 में बदलाव के लिए गुरुवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 को पेश किया. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू ने इस बिल को सदन में पेश किया. विपक्ष ने इस बिल को असंवैधानिक और कठोर बताया. विधेयक को लेकर सदन में उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए रिजीजू ने वे 10 कारण बताए जिनकी वजह से इस बिल को लाने की जरूरत पड़ी. क्या हैं वे कारण आप भी जान लें.
1. 'हक दिलाने के लिए बिल'
रिजीजू ने कहा कि यह विधेयक किसी का हक छीनने के लिए नहीं है बल्कि जिन्हें अभी तक हक नहीं मिला था उन्हें हक दिलाने के लिए है. इस बिल में महिलाओं, बच्चों, मुस्लिम समुदाय में जो पिछड़े हैं उनके लिए, जिन्हें आज तक कभी मौका नहीं मिला, उनको जगह देने के लिए यह बिल लाया गया है.
2. 'सरकार को बिल लाने का अधिकार'
किरेन रिजीजू ने कहा कि इस बिल के जरिए किसी भी धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने की कोशिश नहीं की जा रही है. न ही संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन हुआ है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जिक्र करते हुए है कि भारत सरकार को बिल लाने का अधिकार है.
3. 'पहली बार नहीं हो रहा संशोधन'
उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन बिल पहली बार सदन में पेश नहीं किया जा रहा है. अंग्रेजों के बाद पहली बार 1954 में इसे लाया गया था. अभी हम जो संशोधन बिल ला रहे हैं वह वक्फ एक्ट 1995 में बदलाव है. वक्फ एक्ट 1995 में 2013 में कुछ ऐसे प्रावधान डाले गए जिसमें अब बदलाव करने पड़ रहे हैं.
4. 'जो कांग्रेस नहीं कर पाई, वो हम कर रहे'
रिजीजू ने आगे कहा कि 1995 में जो भी प्रावधान लाए गए थे, उनका अलग-अलग कमेटियों ने अध्ययन किया और पाया कि जिस उद्देश्य के लिए बिल लाया गया था वो पूरे नहीं हुए. उस बिल में कई खामियां पाई गई थीं. उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जो आप नहीं कर पाए, उसी को पूरा करने के लिए हम ये संशोधन कर रहे हैं.
5. 'वक्फ बोर्ड पर माफिया का कब्जा'
संसद में रिजीजू ने कहा कि कई सांसदों ने मुझे बताया कि माफिया ने वक्फ बोर्ड पर कब्जा कर लिया है. साथ ही कई सांसद व्यक्तिगत रूप से इस विधेयक का सपोर्ट करते हैं लेकिन अपनी राजनीतिक पार्टियों की वजह से कुछ कह नहीं सकते. उन्होंने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कुछ लोग संविधान का हवाला देकर, बिल के उद्देश्यों को मिसलीड करना चाहते हैं.
6. 'गलतियों को सुधार रहे हम'
इस कानून में पहले जो प्रावधान थे उनमें कई गलतियां थीं, जिनकी वजह से लोगों को नुकसान हो रहा था. रिजीजू ऐसे कई मामलों का जिक्र किया जहां इस कानून का मनमाना इस्तेमाल किया जा रहा था.
7. 'अकाउंट्स सिस्टम को ठीक करने की कवायद'
रिजीजू ने 1976 में वक्फ इनक्वायरी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड में ऑडिट और अकाउंट्स का सिस्टम प्रॉपर नहीं है, उसका पूरा प्रबंधन होना चाहिए. रिपोर्ट ने उसमें सुधारों की वकालत की थी.
8. 'विशेष समुदाय के लिए थीं कमेटियां'
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने आगे कहा कि कांग्रेस के समय दो कमेटी बनाई गई थीं. ये कमेटियां जस्टिस राजेंद्र सच्चर के नेतृत्व में 2005 में बनाई गई थीं. रिजीजू ने दावा कि ये विशेष रूप से मुस्लिमों के लिए, उनके कल्याण के लिए बनाई गई हैं. इस रिपोर्ट के बारे में सभी जानते हैं.
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9. 'सच्चर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर बदलाव'
रिजीजू ने कहा कि हम जो बिल पेश कर रहे हैं वो सच्चर कमेटी की रिफारिशों के आधार पर है. सच्चर कमेटी की सिफारिश थी कि वक्फ बोर्ड में सदस्यों की संख्या कम है. इसमें दो महिला होनी चाहिए. साथ ही संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी भी होना चाहिए. हम जो बिल पेश कर रहे हैं वो उसी सच्चर कमेटी के हिसाब से ड्राफ्ट किया गया है.
10. 'बिल में रातों-रात नहीं किए कोई बदलाव'
रिजीजू ने इस बात को लेकर विपक्ष को आश्वस्त किया कि इस बिल में रातों-रात कोई बदलाव नहीं किया गया है. इसके लिए हमने 2014 में ही ऑनलाइन पोर्टल बनाकर तैयारी शुरू कर दी थी. लोगों से सलाह ली है. अहमदिया, बोहरा, आगाखानी, पसमंदा से लेकर राज्यों के वक्फ बोर्ड के चेयमैन, सीईओ, सभी से बात की गई है.