डीएनए हिंदी: अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के तवांग (Tawang) में चीनी सेना की घुसपैठ के बाद भारतीय सेना (Indian Army) से हिंसक झड़प को एक सप्ताह भी नहीं बीता है. अब भारत-चीन को बांटने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर एक और ऐसी घटना हो गई है, जिससे लग रहा है कि ड्रैगन कोई साजिश रच रहा है. लद्दाख (Ladakh) में LAC से सटे भारतीय गांवों के चरागाहों में बड़े पैमाने पर बम बिखरे मिले हैं. ये बम पूरी तरह एक्टिव हैं यानी जरा सा भी छूने पर फट सकते हैं. इन चरागाहों में भारतीय सेना की मूवमेंट रहती है और गश्त भी की जाती है. ऐसे इलाके में लाइव बम (Live bombs in Laddakh) बिखरे मिलने को गश्त रोकने की साजिश माना जा रहा है. The Telegraph की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना के बम निरोधक दस्ते ने बृहस्पतिवार-शुक्रवार की दरम्यानी रात में इन बमों को डिफ्यूज कर दिया है.
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सोशल मीडिया से मिली बमों की जानकारी
भारतीय सेना की लद्दाख में एक्टिव फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स (Fire and Fury Corps) के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख के बेहद रिमोट एरिया में मौजूद गांव सागा (Tsaga village) में अनएक्सप्लोडेड शैल (unexploded shell) मिलने की जानकारी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थी. इन UXO की जानकारी मिलने पर बुधवार रात को फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स की सैपर ऑर्डिनेन्स टीम के एक्सपर्ट्स मौके पर पहुंचे और उन्हें डिफ्यूज कर दिया.
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रात में ही लेह से रवाना हुई टीम
सेना के प्रवक्ता के हवाले से टेलिग्राफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि सैपर ऑर्डिनेन्स के एक्सपर्ट्स रात में ही लेह से मौके के लिए रवाना किए गए. इन्होंने जिन बमों को डिफ्यूज किया है, वे 'क्वांटिटी 65 विटेंच रस्टेड यूएक्सओज़' थे, जो कभी भी फटने की स्थिति में थे.
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करीब डेढ़ किमी इलाके में फैले थे बम
फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने ट्वीट में बताया है कि ये बम करीब डेढ़ किलोमीटर इलाके में फैले हुए थे. इन्हें डिफ्यूज करने में टीम को करीब 6 घंटे का समय लगा. इन बमों को लेकर सोशल मीडिया पर बहुत सारे वीडियोज भी वायरल हो रहे हैं. इन वीडियोज में ग्रामीण बड़े एरिया में फैले लाइव बमों को दिखा रहे हैं.
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इस एरिया में हो चुकी है चीन से झड़प
लद्दाख के जिस गांव के आसपास लाइव बम पाए गए हैं, वो चांगतांग बॉर्डर एरिया (Changthang border area) का हिस्सा है. चीनी सेना इसे भी तिब्बत का हिस्सा बताते हुए विवादित मानती है. यहां कई बार भारतीय जवानों की चीनी सेना के साथ झड़प हो चुकी है. लद्दाख स्वायत्तशासी परिषद के विपक्षी पार्षदों ने उप राज्यपाल को इन बमों को लेकर पत्र लिखा है. सासपोल के पार्षद सामंला दोरजे नर्बू (Saspol councillor Smanla Dorge Nurboo) के नेतृत्व में लिखे गए इस पत्र में उप राज्यपाल एके माथुर (Ladakh lieutenant governor AK Mathur) से इस मामले में बड़ी साजिश होने की बात कही गई है और कार्रवाई कराने की मांग की है. नर्बू के मुताबिक, इस इलाके में यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी यहां बम मिले हैं और इससे हमारे मवेशी घायल हुए हैं.
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भाजपा पार्षद बोले: भारत-चीन युद्ध के हैं बम
रिपोर्ट में स्थानीय भाजपा पार्षद इशे स्पेलजांग (BJP councillor Ishey Spalzang) ने इन बमों को साल 1962 के भारत-चीन युद्ध (1962 India China War) के समय का बताया है. उनका कहना है कि ये बम मिट्टी में दबे होंगे. अब मिट्टी की परत हटने से सामने आ गए हैं.
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