जनकवि नागार्जुन स्मृति सम्मान 2022 मैथिली के कवि-लेखक तारानंद वियोगी को मिला 

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jun 13, 2022, 08:26 PM IST

तारानंद वियोगी

जनकवि‍ नागार्जुन स्‍मृति सम्‍मान की घोषणा हो चुकी है और इस साल यह सम्मान तारानंद वियोगी को उनके साहित्यिक योगदान के लिए दिया जा रहा है.

डीएनए हिंदी: ‘जनकवि नागार्जुन स्‍मारक नि‍धि’ की ओर से संचालि‍त ‘जनकवि‍ नागार्जुन स्‍मृति सम्‍मान’ की नि‍र्णायक-समि‍ति की बैठक आलोचक मैनेजर पांडेय की अध्यक्षता में हुई थी. इसमें सर्वसम्‍मति से नि‍र्णय लि‍या गया कि इस वर्ष का जनकवि नागार्जुन स्‍मृति सम्‍मान मैथिली के सुप्रसिद्ध कवि-लेखक डॉ. तारानंद ‘वियोगी’ को दि‍या जाएगाय इस बार के ‘जनकवि‍ नागार्जुन स्‍मृति‍ सम्‍मान’ नि‍र्णायक-समि‍ति के सदस्‍य: मैनेजर पाण्‍डेय, रविभूषण, उपेन्‍द्र कुमार, चंद्रा सदायत और श्रीधरम थे. 

वियोगी ने नागार्जुन की रचनाओं पर किया है काम
 बता दें कि ज्येष्ठ पुर्णिमा 14 जून, 2022 को बाबा नागार्जुन की जन्मतिथि है. जन्मतिथि की पूर्व संध्या पर इस सम्मान की घोषणा की गई है. मैथिली के महत्वपूर्ण कवि तारानंद वियोगी आपातकाल के बाद की पीढ़ी के सक्रिय ऊर्जस्वित कवि हैं. अपनी कविता के विषय वैविध्य, सामाजिक जागरूकता, जनसरोकार, रचना-शिल्प, भाषिक-प्रयुक्ति एवं संप्रेषण शक्ति के लिए डॉ. वियोगी, बाबा नागार्जुन की रचना-पद्धति और भाषा-विधान के अत्यंत निकटवर्ती हैं. 

डॉ. वियोगी ने बाबा नागार्जुन पर मैथिली में संस्मरण की किताब ‘तुमि चिर सारथी’ लिखी है जिसका मैथिली अनुवाद ‘पहल पुस्तिका’ के रूप में छप चुकी है. इन्होंने रज़ा फाउंडेशन के लिए बाबा नागार्जुन की वृहदाकार जीवनी ‘युगों का यात्री’ हिन्दी में लिखी है जो बहुप्रशंसित हुई है. इन्होंने हिन्दी-मैथिली के चर्चित रचनाकार और अपने ग्रामीण राजकमल चौधरी की चर्चित जीवनी ‘जीवन क्या जिया’ भी लिखी है। कवि, आलोचक और चिंतक के रूप में प्रसिद्ध वियोगी की रचनाओं में हर जगह नई दिशा संधान के संकेत मिलते हैं. 

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अब तक छप चुकी हैं कई रचनाएं
1966 में महिषी, सहरसा में माता-पिता बदामी देवी और बद्री महतो के घर जन्मे डॉ. तारानंद ‘वियोगी’ की कविता, आलोचना, कहानी, जीवनी, संस्मरण, क्षेत्रीय इतिहास आदि विधाओं में अब तक चालीस से अधिक मौलिक एवं संपादित कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं. अब तक आधा दर्जन कविता-संग्रह- ‘अपन युद्धक साक्ष्य’, ‘हस्तक्षेप’, ‘प्रलय-रहस्य’, ‘दुनिया घर मेहमान’, ‘साखी’, ‘धराशायी हेबाक समय’ के अलावा उनकी मैथिली कविता का अंग्रेजी अनुवाद ‘बिटवीन द टू डैम्स’ प्रकाशित है. साथ ही उनकी मैथिली कविता का हिन्दी अनुवाद ‘बुद्ध का दुख और मेरा’ तथा ‘जैसे अंधेरे में चाँद’ संकलन भी प्रकाशित है। डॉ. वियोगी की आलोचना पुस्तकें ‘कर्मधारय’, बहुवचन’, ‘रामकथा आ मैथिली रामायण’, ‘मंडन मिश्र : मिथक आ यथार्थ’, ‘धूमकेतु’, ‘महाप्रकाश’ आदि प्रकाशित हैं। उन्हें इससे पहले साहित्य अकादेमी का बाल साहित्य पुरस्कार, यात्री-सम्मान, किरण-सम्मान, विदेह सम्मान आदि मिल चुके हैं.

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2017 में हुई स्थापना
‘जनकवि‍ नागार्जुन स्‍मारक नि‍धि’ की स्‍थापना 2017 में बाबा नागार्जुन की स्‍मृति में हुई थी जिसके अध्यक्ष प्रसिद्ध आलोचक मैनेजर पाण्डेय हैं तथा कवि मदन कश्यप, उपेंद्र कुमार, आलोचक देवशंकर नवीन, चंद्रा सदायत, देवेंद्र चौबे आदि कार्यकारिणी से जुड़े हुए हैं. इससे पहले ‘जनकवि नागार्जुन स्‍मृति सम्‍मान’ से हिन्दी के वरिष्ठ कवि नरेश सक्‍सेना, राजेश जोशी, आलोक धन्वा, वि‍नोद कुमार शुक्‍ल और ज्ञानेंद्रपति सम्मानित हो चुके हैं. बाबा नागार्जुन ने अपनी मातृभाषा मैथिली में भी भरपूर रचनाएं की हैं. इसलिए इस बार का यह सम्मान मैथिली साहित्य को समर्पित किया गया है. डॉ. वियोगी को यह सम्मान बाबा नागार्जुन के निर्वाण दिवस  5 नवंबर को दिल्ली में आयोजित समारोह में दिया जाएगा.

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