मां के निधन के बाद सड़कों पर भीख मांग रहा शाहजेब असल में है करोड़पति, पढ़ें 10 साल के बच्चे की अनूठी कहानी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 16, 2022, 08:16 PM IST

पिता की मौत के बाद उत्तराखंड में बेटे को लेकर गुजारा कर रही मां की मौत से सड़क पर आया बच्चा. दादा ने पोते के नाम कर रखी थी करोड़ों रुपये की संपत्ति.

डीएनए हिंदी: जिस उम्र में बच्चे घरों में छलांग लगाते हैं, उस उम्र में दाने दाने को मोहताज बच्चा पिछले 4 साल से सड़कों पर भीख मांगने को लाचार है. पिता को बीमारी ने तो मां को कोरोना महामारी ने छिन लिया. खुले आसमान के नीचे सड़कों पर रहकर गुजारा करने वाले बच्चे को अचानक पता चला कि उसके पास करोड़ों रुपये की संपत्ति है. इसको संभालने के लिए उसे तलाशा जा रहा है. घर वाले बच्चे तक पहुंचे और उसे पूरी कहानी बताई तो वह हैरान रह गया. बच्चे के विश्वास नहीं करने पर परिवार उसे उत्तराखंड (Uttarakhand) से यूपी के सहारनपुर (Uttar Pradesh Saharanpur) ले आया है. जहां उसके नाम संपत्ति उसे सौंप दी गई है. 

यह एक कहानी नहीं बल्कि हकीकत है. मामला उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के गांव पंडोल का बताया जा रहा है. यहां नावेद अपने परिवार के साथ रहता था. उसकी पत्नी इमराना उत्तराखंड की रहने वाली थी. नावेद की बीमारी से मौत हो गई तो ससुराल पक्ष का उसके प्रति व्यवहार बदल गया. इस पर इमराना अपने 6 साल के बेटे शाहबेज को लेकर उत्तराखंड के कलियर में जाकर रहने लगी. यहां वह अपने बच्चे के साथ जीवन यापन कर रही थी, लेकिन कोरोना महामारी ने शाहबेज से उसकी मां को भी छिन लिया. 10 साल की उम्र में बच्चा दर दर भटकने का मजबूर हो गया. उसके आगे पीछे कोई नहीं था. वह भीख मांगकर खाता और खुले आसमान के नीचे सोकर जीवन बीता रहा था. इसबीच ही शाहबेज के एक रिश्तेदार ने उसे पहचान लिया. बच्चे को भीख मांगता देख शख्स ने उसके परिवार को इसकी जानकारी दी. 

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करोड़ों रुपये की संपत्ति का मालिक निकला शाहबेज

दस साल का शाहबेज जो सड़क पर भीख मांगकर खाता था. उसके नाम करोड़ों रुपये की संपत्ति है. यह बात बच्चे को उत्तराखंड के कलिया में मिले रिश्तेदार ने बताई. उसने बताया कि उसके दादा के दो बेटे थे. इनमें से एक शाहबेज का पिता नावेद था. नावेद की मौत के बाद दादा ने बेटे के हिस्से की संपत्ति को पोते शाहबेज के नाम कर दिया था. उन्हें भरोसा था कि उनका पोता एक दिन जरूर लौटेगा. दादा के समय से ही उसका परिवार शाहबेज की तलाश कर रहा था. उन्होंने इसके लिए दूसरे लोगों से भी गुहार लगाई थी. पोते के न मिलने पर दादा की मौत हो गई, लेकिन परिवार के लोग तलाश में जुटे रहे. 

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वाट्सएप के जरिए की तलाश तो मिला शाहबेज

परिवार ने शाहबेज की तलाश के लिए वाट्सएप ग्रुप और अपने रिश्तेदारों से उसके फोटो व डिटेल शेयर करने की गुहार लगाई थी. उन्होंने सहारनपुर में उसकी तलाश के लिए पोस्टर भी लगाए. इस बीच शाहबेज के एक रिश्तेदार मोबीन उत्तराखंड गया था. गुरुवार को वह कलियर पहुंचा तो उसे दस साल का बच्चा भीख मांगता दिखाई दिया. उन्होंने ग्रुप पर आए फोटो से भीख मांग रहे बच्चे का चेहरा मिलाया तो वह शाहबेज ही निकला. उन्होंने उससे पूछताछ कर सहारनपुर में उसके परिवार को मामले की सूचना दी. इसके बाद उसका परिवार शाहबेज को समझा बुझाकर उसके घर सहारनपुर ले गया. यहां शाहबेज के नाम पर उसके दादा ने पुश्तैनी मकान, 5 बीघा जमीन और कई प्लॉट किए हुए हैं, जिनकी कीमत करोड़ों रुपये में है. 

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