कितनी देर हवा में रहने के बाद कमजोर हो जाता है Coronavirus?

कोविड पर की गई एक हालिया स्टडी में दावा किया गया है कि वायरस हवा में रहने के 20 मिनट बाद ही 90 फीसदी तक कम असरदार रह जाता है.

कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामले दुनियाभर में एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं. 2 साल में कोविड-19 (Covid-19) के नए-नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं. साल 2019 में कोरोना (SARS-CoV-2) के बारे में पहली बार जानकारी सामने आई तब से वायरस से प्रभाव पर दुनियाभर में स्टडी चल रही है. 

University of Bristol ने की है स्टडी

ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल (University of bristol) के वैज्ञानिकों की एक स्टडी में सामने आया है कि कोरोना वायरस के हवा में (Airborne) 20 मिनट रहने के बाद किसी व्यक्ति को संक्रमित करने की क्षमता 90 फीसदी तक कम हो जाती है.

हवा में वायरस के फैलाव पर अध्ययन

ब्रिटेन की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 'The Dynamics of SARS-CoV-2 Infectivity with Changes in Aerosol Microenvironment' विषय पर एक स्टडी की. स्टडी के नतीजों में यह खुलासा हुआ कि हवा में मौजूद कोरोना वायरस की संक्रमण क्षमता कितनी देर में कम होगी. 

कब कम होती है वायरस के फैलने की आशंका?

कोरोना वायरस के प्रसार में नमी (Humidity) की एक बड़ी भूमिका होती है. अगर हवा सूखी होगी तो हवा में मौजूद कोरोना वायरस की संक्रमण क्षमता जल्दी बेअसर होने लगेगी. वहीं, नम हवा में कोरोना वायरस ज्यादा देर तक हवा में रह कर किसी व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है.

सूखे में कमजोर हो जाता है वायरस

दिल्ली के बीएलके मैक्स अस्पताल के स्वांस विभाग (Pulmonology) के डायरेक्टर डॉक्टर संदीप नायर का कहना है कि कोविड जब लंग्स में रहता है, तो वहां वायरस को नमी मिलती है. नमी में वायरस आसानी से रह सकते हैं. लेकिन जैसे ही ड्रॉपलेट (droplet) के जरिए वायरस बाहर निकलता है, वैसे ही सूखे वातावरण की वजह से संक्रामक क्षमता कमजोर पड़ने लगती है.

कब होती है ज्यादा संक्रमण की आशंका?

डॉक्टर संदीप नायर ने कहा है कि बीते 2 साल में कोरोना के मरीजों का इलाज करने के दौरान उन्होंने ने भी इसी पैटर्न को देखा है. अगर कोई व्यक्ति किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के साथ संक्रमण के शुरुआती दिनों में रहता है तो उसके संक्रमित होने की आशंका ज्यादा रहती है. वहीं, कुछ दिनों के बाद यह आशंका कम होने लगती है.

किन वेरिएंट्स पर हुई है स्टडी?

ब्रिटेन के ब्रिस्टल विश्विद्यालय के वैज्ञानिकों ने यह स्टडी कोरोना के अलग-अलग तीन वेरिएंट पर की. कोरोना के अल्फा, डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरिएंट चर्चा में रहे हैं. डेल्टा वेरिएंट ने दुनियाभर में कहर बरपाया था. वहीं स्टडी में अल्फा वैरिएंट के बारे में सर्च किया गया. ओमिक्रॉन वेरिएंट के प्रचार और प्रसार का तरीका कैसा है यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और दूसरी स्वास्थ्य इकाइयों का दावा है कि यह वेरिएंट बेहद तेजी से फैलता है. इस वेरिएंट में कोरोना के 30 से ज्यादा म्युटेशन शामिल हैं.