Covid-19 से लड़ने में संजीवनी-बूटी साबित हो सकता है बुरांश का फूल, IIT मंडी में हुआ है शोध

IIT,मंडी के शोधकर्ताओं के मुताबिक हिमालयी क्षेत्रों में बहुतायत में पाए जाने वाले बुरांश के फूल में Covid-19 से लड़ने की पूरी क्षमता है.

डीएनए हिंदी: कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच एक उम्मीद भरी खबर हिमाचल प्रदेश से आई है. हिमाचल प्रदेश के मंडी में स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) के शोधकर्ताओं ने बताया है कि यहां पाए जाने वाले बुरांश के फूल से भी कोविड-19 संक्रमण को मात देने में मदद मिल सकती है. एक प्रयोग के दौरान ये साबित हुआ है कि इसके फूलों की पंखुड़ियों में मौजूद फाइटोकैमिकल कोरोना को मल्टीप्लाई होने से यानी बढ़ने से रोकता है.  
 

सन् 2019 से कर रहे हैं शोध


हाल ही में इस शोध के नतीजे Biomolecular Structure and Dynamics नामक जर्नल में भी प्रकाशित हुए हैं. शोध से जुड़े शोधकर्ता और IIT मंडी में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. श्याम कुमार मसकपल्ली का कहना है कि उनकी टीम सन् 2019 से हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाले मेडिसिनल प्लांट्स पर रिसर्च कर रही है. उनका लक्ष्य हिमालयन फाइटोकेमिकल लाइब्रेरी बनाना है, जिसकी मदद से कई तरह की गंभीर बीमारियों से लड़ने में मदद मिल सकती है. सन् 2020 में आई कोविड-19 की महामारी के बाद उन्होंने अपनी रिसर्च के दौरान हिमालयी क्षेत्र में पाए जाने वाले मेडिसिनल प्लांट्स के ऐसे गुणों को ढूंढना शुरू किया, जो इस महामारी से लड़ने में मदद कर सकें.

बुरांश में मौजूद फाइटोकैमिकल्स हैं मददगार


शोधकर्ताओं के मुताबिक इन पंखुड़ियों में मौजूद फाइटोकेमिकल वायरस से लड़ने में दो तरह से मदद करते हैं. सबसे पहले ये कोरोना में मिलने वाले एक ऐसे एंजाइम से जुड़ जाते हैं, जो वायरस को अपना डुप्लीकेट बनाने यानी बढ़ने में मदद करता है. इसके अलावा, ये हमारे शरीर में मिलने वाले ACE-2 एंजाइम से भी जुड़ जाते हैं. ACE-2 एंजाइम के जरिए ही वायरस हमारे शरीर में दाखिल होता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, फाइटोकेमिकल की इस जुड़ने की प्रक्रिया के कारण कोरोना वायरस व्यक्ति के शरीर में एंट्री लेकर उसे इफेक्ट नहीं कर पाता है. शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इस पर और शोध करने के बाद यह कोरोना से लड़ने की कारगर दवाई के रूप में सामने आएगा.

शरबत और चटनी भी है मशहूर

बुरांश का साइंटिफिक नाम rhododendron arboreum है. कहा जा रहा है कि पहली बार हिमालयी बुरांश के फूल की पंखुड़ियों पर कोई शोध किया गया है, हालांकि ये पंखुड़ियां सदियों से यहां के स्थानीय भोजन में शुमार हैं. गर्मी के मौसम में इनका शरबत भी बनाया जाता है. इसकी चटनी को भी हिमाचल के ग्रामीण क्षेत्रों में काफी पसंद किया जाता है.  

उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है बुरांश


हिमाचल ही नहीं, उत्तराखंड में भी बुरांश काफी अहम है. यह उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है. वहां इसकी काफी मान्यता है. मार्च-अप्रैल के महीने में बुरांश के लाल फूलों से ढकी वादियां बेहद खूबसूरत लगती हैं.

इन देशों में भी मिलता है बुरांश

भारत के अलावा बुरांश का फूल नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, चीन और पाकिस्तान में भी पाया जाता है. यदि यह रिसर्च आगे चलकर पुख्ता साबित होती है तो कोरोना से जंग में एक अहम संजीवनी-बूटी साबित हो सकता है बुरांश का फूल.