किसी भारतीय खिलाड़ी ने 21 वर्ष बाद ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में जीत हासिल कर फाइनल की टिकट पक्की की है.
युवा भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन (Lakshya Sen) लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं जो कि देश को गौरवान्वित करने वाले हैं. लक्ष्य मात्र 20 वर्ष की उम्र में वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीत चुके हैं, वहीं उन्होंने नया इतिहास इंग्लैंड में बनाया है. उन्होंने ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में धमाकेदार जीत दर्ज की है. खास बात यह है कि 21 वर्ष बाद किसी भारतीय ने इस चैंपियनशिप को जीता है.
कड़े मुकाबले में जीता मैच
20 साल के युवा भारतीय शटलर ने पुरुषों के सिंगल्स के सेमीफाइनल में मौजूदा चैंपियन मलेशिया के ली जी जिया को 3 गेम तक चले कड़े मुकाबले में 21-13, 12-21 21-19 से हराकर पहली बार फाइनल में जगह बना ली है.
पुलेला गोपीचंद से की बराबरी
आपको बता दें कि लक्ष्य ने तीन गेम तक चले इस मुकाबले को एक घंटे और 16 मिनट में जीत लिया. गौरतलब है कि 2001 में खिताब जीतने वाले दिग्गज पुलेला गोपीचंद के बाद वह इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय पुरुष शटलर हैं.
बनाया एक नया कीर्तिमान
लक्ष्य इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने वाले देश के तीसरे पुरुष सिंग्लस खिलाड़ी हैं. उनसे पहले प्रकाश पादुकोण और पुलेला गोपीचंद ने फाइनल में जगह बनाई थी. पादुकोण और गोपीचंद इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता को जीतने में सफल रहे थे जबकि साइना नेहवाल 2015 में महिला एकल के फाइनल में पहुंची थीं.
शानदार लय में हैं लक्ष्य
आपको बता दें कि लक्ष्य पिछले छह महीने से शानदार लय में चल रहे है. उन्होंने इस वर्ष जनवरी में इंडिया ओपन के रूप में अपना पहला सुपर 500 टूर्नामेंट जीता था और फिर पिछले सप्ताह जर्मन ओपन के उपविजेता रहे थे.
उत्तराखंड से आते हैं लक्ष्य
निजी जीवन की बात करें तो लक्ष्य उत्तराखंड के अल्मोड़ा के रहने वाले हैं. उनके दादा सी.एल. सेन को अल्मोड़ा में बैडमिंटन का भीष्म पितामह कहा जाता है. लक्ष्य के पिता डी.के. सेन नेशनल लेवल पर बैडमिंटन खेल चुके हैं और नेशनल लेवल के कोच भी हैं. वहीं लक्ष्य अपना ज्यादातर प्रैक्टिस में ही बिताते हैं और इसे कभी मिस नहीं करते हैं.