Chhoti Diwali 2022: छोटी दिवाली क्यों मनाते हैं, पौराणिक मान्यताएं और कथा से पता चलेगा महत्व

Written By ऋतु सिंह | Updated: Nov 11, 2023, 09:10 AM IST

छोटी दिवाली क्यों मनाते हैं

Chhoti Diwali Shubh Muhurat: धनतेरस के अगले दिन छोटी दिवाली होती है. इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं. इस दिन को मनाने की वजह और परंपरा क्या है, जानें.

डीएनए हिंदीः आज छोटी दिवाली है और 24 अक्टूबर दिन सोमवार को दिवाली होगी. दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है. इस बार क्योंकि त्यौहार की तिथि शाम से शुरू हो रही है इसलिए अगले दिन तक तिथि रहेगी. 
चतुर्दशी तिथि आज शाम से शुरू हो कर कल यानी 24 अक्टूबर तक होगी, लेकिन उदया तिथि के अनुसार चतुर्दशी यानी छोटी

दिवाली आज ही होगी. छोटी दिवाली को यम दिवाली या नरक चतुर्दशी कहते हैं. 
हिंदू पंचांग के अनुसार छोटी दिवाली कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. आखिर छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है और इससे जुड़ी पौराणिक कथा क्या हैण्

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छोटी दिवाली 2022 पूजन व दीपदान का शुभ मुहूर्त-

अगर आप 23 अक्टूबर को छोटी दिवाली मना रहे हैं तो शाम 06 बजकर 03 मिनट के बाद त्रयोदशी में ही पूजन व दीपदान करना उत्तम रहेगा। 

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चतुर्दशी तिथि कब से कब तक-

चतुर्दशी तिथि 23 अक्टूबर 2022 को शाम 06 बजकर 03 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 2 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी। आज शाम को 06 बजकर 03 मिनट के बाद चतुर्मखी दीपक लाकर शांति और बुराई दूर करने की कामना की जा सकती है।

छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है | Why is Chhoti Diwali celebrated
छोटी दिवाली को काली चौदस या नरक चतुर्दशी भी कहते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, किसी राज्य में नरकासुर नामक एक राक्षस रहता था. कहते हैं उसने इंद्र देव को पराजित करके देवी माता के कान की बाली छीन लिया था. इसके अलावा वह असुर देवी-देवताओं और ऋषियों की बेटियों को अपहरण करके उन्हें अपने घर में बंदी बनाकर रखा था.

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महिलाओं के प्रति नरकासुर के द्वेष भाव को देखकर सत्यभामा ने भगवान श्रीकृष्ण से निवेदन किया कि उन्हें नरकासुर के बध का अवसर दिया जाए. कहा जाता है कि नरकासुर को वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु किसी महिला के हाथों  ही होगी. कथा में आगे वर्णन मिलता है कि सत्यभामा भगवान श्रीकृष्ण के रथ पर बैठकर नकरासुर का वध करने के लिए गईं. जिसके बाद सत्यभामा ने युद्ध में नरकासुर का वध करके सभी कन्याओं को छुड़वा लिया.

जिसके बाद नरकासुर की माता ने घोषणा की कि उसके पुत्र के मृत्यु के दिन को मातम के तौर पर ना मनाकर एक उत्सव के रूप में मनाया जाए. यही वजह है कि इस दिन छोटी दिवाली मनाई जाती है और इस दिन को नरक चतुर्दशी कहते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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