विशेषज्ञों का दावा- Covid के कारण चली गई 90 प्रतिशत लोगों की कुछ हद तक आंखों की रोशनी

| Updated: Jan 24, 2022, 10:00 PM IST

डॉक्टरों ने कहा कि बीमारी को नियंत्रित करने और दृष्टि में किसी भी तरह के नुकसान को रोकने के लिए शुरुआती पहचान और उपचार महत्वपूर्ण है.

डीएनए हिंदी: स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले दो सालों में कोविड-19 (Covid-19) महामारी के दौरान हर 10 में से 9 लोगों की दृष्टि कुछ हद तक खो गई है. ऐसा इसलिए है क्योंकि उनमें से अधिकांश लोगों ने महामारी के बाद लगने वाले लॉकडाउन के दौरान नियमित तौर पर कराई जाने वाली अपनी आंखों की जांच और इसके फॉलो-अप को छोड़ दिया है.

मुंबई रेटिना सेंटर के सीईओ विटेरियोरेटिनल सर्जन डॉ. अजय दुदानी के अनुसार, दुर्भाग्य से कोविड की पहली और दूसरी लहर के दौरान खराब फॉलो-अप के कारण 90 प्रतिशत रोगियों ने कुछ हद तक अपने देखने की क्षमता को खो दिया है. विशेष रूप से एएमडी (एज रिलेटेड मैकुलर डिजनरेशन) से पीड़ित मरीजों में यह दिक्कत देखने को मिली है. ये मरीज ज्यादातर अपना इंट्राविट्रियल इंजेक्शन लेने से चूक गए जिसके कारण बीमारियां तेजी से बढ़ीं हैं.

वहीं नारायणा नेत्रालय आई इंस्टीट्यूट, बेंगलुरु में सीनियर विटेरियोरेटिनल कंसल्टेंट डॉ. चैत्र जयदेव ने कहा, कोविड के डर के कारण हमने पिछले 3-4 महीनों में नियमित रूप से आंखों की जांच के लिए आने वाले रोगियों में गिरावट देखी है. इसके परिणामस्वरूप निदान और उपचार में देरी हुई है जिससे लंबे समय में देखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है.

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डॉक्टरों ने कहा कि बीमारी को नियंत्रित करने और दृष्टि में किसी भी तरह के नुकसान को रोकने के लिए शुरुआती पहचान और उपचार महत्वपूर्ण है. क्लिनिक का दौरा जितना अधिक समय तक बंद रहेगा, आंखों की सेहत उतनी ही खराब होती जाएगी.

विटेरोरेटिनल सोसाइटी ऑफ इंडिया के महासचिव डॉ. राजा नारायण ने बताया, हमें इस कोविड लहर के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए. मरीजों को मैकुलर डिजनरेशन या डायबिटिक मैकुलर एडिमा के विजिट में देरी नहीं करनी चाहिए, जब तक कि मरीज में कोविड के लक्षण न हों.

दुदानी ने आगे कहा, तीसरी लहर के साथ हम अतीत के समान पैटर्न देख रहे हैं क्योंकि रोगी की विजिट, विशेष रूप से बुजुर्गों के बीच, लगभग 50 प्रतिशत कम हो गई है. चूंकि रेटिना को बदला नहीं जा सकता है इसलिए इंजेक्शन न लगना या उपचार का पालन न करना नेत्र रोग को बढ़ा सकता है.

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डॉक्टरों ने रोगियों को टेलीकंसल्टेशन लेने के लिए भी प्रोत्साहित किया.

जयदेव ने कहा, अगर रोगियों को धुंधली दृष्टि, दृष्टि की अचानक हानि या दृश्य क्षेत्र में काले धब्बे जैसे लक्षणों का अनुभव होता है तो उन्हें तत्काल आंखों की जांच के लिए जाने की आवश्यकता होती है क्योंकि ये डायबिटिक रेटिनोपैथी के लक्षण हो सकते हैं. इस तरह की जटिलताओं को और बिगड़ने से रोकने के लिए मधुमेह रोगियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका शुगर लेवल नियंत्रण में रहे.

(इनपुट- आईएएनएस)