Mental Health, हार्ट डिजीज जैसे गंभीर रोगों का कारण बनती है मसूड़ों की बीमारी: रिसर्च

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 03, 2022, 02:25 PM IST

मसूड़ों की समस्याओं से बचने के लिए जरूरी है कि हम ज्यादा मीठा न खाएं, नियमित रूप से ब्रश करें, नशे आदि के सेवन से बचें.

डीएनए हिंदी: मसूड़ों की बीमारियां (Gums Diseases) ना केवल आपके दांतों को नुकसान पहुंचाती है बल्कि ये दिल की गंभीर बीमारियों के साथ मनोविकार (Psychosis) का भी कारण बनती हैं. यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम (University of Birmingham) में हुई एक स्टडी में इस बात का खुलासा किया गया है.

जानकारी के अनुसार, इस स्टडी के लिए रिसर्चर्स ने जिंजीवाइटिस (Gingivitis) और पेरिओडांटिस (Periodontitis) जैसी मसूड़ों की बीमारियों से पीड़ित 64 हजार 379 मरीजों के रिकॉर्ड की स्टडी की थी. इनमें से 60 हजार 995 को जिंजीवाइटिस और 3384 को परिओडांटिस की बीमारी थी. 

वहीं इन रोगियों के रिकॉर्डों की तुलना 2 लाख 51 हजार 161 ऐसे अन्य रोगियों के रिकार्डों से की गई जिन्हें पेरिओडांटिस की बीमारी नहीं थी. रिसर्चर्स ने इस सैंपल डाटा के आधार पर ये पता करने की कोशिश की कि कितने ऐसे लोग रहे जिन्हें पेरिओडांटिस नहीं थी लेकिन हार्ट फेल्यर, स्ट्रोक जैसे कार्डियोवस्कुलर डिजीज, कार्डियो मेटाबॉलिक डिजीज (जैसे हाई ब्लड प्रेशर, टाइप 2 डायबिटीज), अर्थराइटिस, टाइप -1 डायबिटीज, सोराइसिस और अवसाद, बेचैनी समेत अन्य गंभीर मानसिक रोगों का सामना करना पड़ा. 

विश्लेषण में पाया गया कि जो रोगी पेरिओडांटिस से पीड़ित थे, वे तीन साल के भीतर दी गई बीमारियों में से कम से कम एक बीमारी से या तो पीड़ित हुए या उसके बहुत ज्यादा जोखिम की ओर बढ़ चले थे. स्टडी शुरू होने के समय जिन्हें पेरिओडांटिस की शिकायत थी उनमें मनोविकार होने का खतरा 37 प्रतिशत ज्यादा था. जबकि अर्थराइटिस, टाइप-1 डायबिटीज जैसे ऑटोइम्यून रोगों का खतरा 33 प्रतिशत, कार्डियोमेटाबोलिक विकार संबंधी रोगों का खतरा 7 प्रतिशत और कार्डिवस्कुलर डिजी का खतरा 18 प्रतिशथ था. इनमें सबसे ज्यादा खतरा (26 प्रतिशत) डायबिटीज टाइप 2 होने का रहा. स्टडी का निष्कर्ष बीएमजे ओपन जर्नल में प्रकाशित किया गया है. 

ऐसे में मसूड़ों की समस्याओं पर ध्यान देना बेहद जरूरी हो जाता है. इन समस्याओं से बचने के लिए जरूरी है कि हम ज्यादा मीठा न खाएं, अच्छी तरह और नियमित रूप से ब्रश करें, नशे आदि के सेवन से बचें और अपने खान-पान पर भी विशेष ध्यान दें.

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