Rajiv Gandhi Death Anniversary: ना चाहते हुए राजनीति में आए और प्रधानमंत्री बन गए थे राजीव गांधी, फैसलों के चलते हुई हत्या

रईश खान | Updated:May 21, 2023, 08:38 AM IST

राजीव गांधी (फाइल फोटो)

राजीव गांधी (Rajiv gandhi) अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार संसद पहुंचे थे.

डीएनए हिंदी: आज ही के दिन (21 मई) को देश के पूर्व प्रधामंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की हत्या कर दी गई थी. राजीव गांधी देश के पहले युवा प्रधानमंत्री थे. उनके जन्म के तीन साल बाद देश आजाद हुआ था. बड़े होने के बाद राजीव ने न केवल नेहरु-गांधी परिवार की राजनीतिक विरासत को संभाला, बल्कि देश को तकनीक व वैश्विक बुलंदियों तक पहुंचाने के लिए अभूतपूर्व कार्य किए. राजीव गांधी कभी राजनीति में नहीं आना चाहते थे, यही कारण है कि इंदिरा गांधी के बेटे होने के बावजूद वो एक एयरलाइंस कंपनी में पायलट की नौकरी करते थे.

दरअसल, इमरजेंसी के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को कुर्सी गंवानी पड़ी थी. जिसके बाद राजीव गांधी कुछ समय के लिए विदेश चले गए. विदेश में उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने की कोशिश की, लेकिन किताबी ज्ञान उन्हें रास नहीं आया. लंदन में पढ़ाई करने के बाद वे कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए, यहां तीन वर्ष पढ़ने के बाद भी उन्हें डिग्री हासिल नहीं हुई. फिर राजीव ने लंदन के इंपीरियल कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया, लेकिन इसमें में भी उनका दिल नहीं लगा. 

पायलट के तौर पर करियर की थी शुरूआत
इसके बाद दिल्ली (Delhi) आ गए और यहां फ्लाइंग क्लब में पायलट की ट्रेनिंग ली. 1970 में राजीव गांधी ने एयर इंडिया के साथ पायलट के तौर पर करियर की शुरूआत की. राजीव गांधी, इंदिरा गांधी के बड़े बेटे थे. राजीव को राजनीति में कोई रुचि नहीं थी. मां के प्रधानमंत्री होने के बावजूद वो कभी लाइमलाइट में नहीं आए, जबिक उनके छोटे भाई संजय गांधी अमेठी से सांसद थे. लेकिन छोटे भाई संजय गांधी की एक हवाई दुर्घटना में मौत हो जाने के बाद उन्हें राजनीति का दामन थामना पड़ा. 

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भारत में लाए थे कंप्यूटर क्रांति
1980 के दशक में राजीव गांधी ने राजनीति में कदम रखा और अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार संसद पहुंचे. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मौत के बाद 1984 में वो भारी बहुत के साथ भारत के सातवें प्रधानमंत्री बने. राजीव गांधी भारतीय इतिहास में सबसे कम उम्र के पीएम थे. उनका जन्म 20 अगस्त 1944 को हुआ था. वह पहले ऐसे प्रधामंत्री थे जो भारत में कंप्यूटर क्रांति लाए थे.

धमाके की पहले से रची गई थी साजिश
21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान आत्मघाती हमलाकर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. बताया जाता है कि राजीव गांधी की हत्या की साजिश पहले से ही रची गई थी. मई 1991 के पहले सप्ताह में ही आत्मघाती दस्ते की ट्रेनिंग के तौर पर मानव बम बनाकर 9 लोगों को मद्रास में वीपी सिंह की सभा में सुरक्षा घेरा तोड़ने की प्रेक्टिस कराई गई थी. इसमें धनु और सुबा नाम की दो महिलाओं ने वीपी सिंह को माला भी पहनाई थी. इसके बाद 19 मई को सिवरासन को अखबारों से राजीव गांधी के चुनावी कार्यक्रम के बारे में मालूम चला. 

जिसके बाद 21 मई 1991 को राजीव गांधी के श्रीपेरंबदूर की यात्रा वाले दिन को चुना गया. इस रैली में धनु और सुबा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नजदीक पहुंच कर धमाके को अंजाम दे दिया और एक पल में देश ने अपना प्रधानमंत्री खो दिया.
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