Atiq Ahmed Shot Dead: खिला कमल और डूब गया अतीक अहमद का सितारा, ये रही 1980 से लेकर 2017 तक की पूरी कहानी

| Updated: Apr 16, 2023, 12:09 AM IST

Atique Ahmed (File Photo)

प्रयागराज पश्चिम सीट पर अतीक अहमद के रहते किसी दूसरे दल की जीत नहीं हुई. साल 2017 में पहली बार इस सीट पर कमल खिला. दूसरी बार यहां कमल खिला तो अतीक की मौत आ गई.

डीएनए हिंदीः प्रयागराज जिले की पश्चिम विधानसभा सीट (Allahabad West Assembly Seat) बाहुबली नेता अतीक अहमद (Atiq Ahmed) के कारण चर्चित रही है. इस सीट पर 80 के दशक से लेकर 2006 तक अतीक अहमद का वर्चस्व और प्रभाव रहा. माफिया से नेता बने अतीक अहमद यहां से पांच बार विधायक रहे. उनके सामने कोई भी दूसरा प्रत्याशी टिक ना सका. फिर अतीक अहमद फूलपुर से सांसद चुने गए तो इस सीट पर उपचुनाव हुए. जिसमें समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राजू पाल ने जीत दर्ज की. इस जीत को अतीक अहमद पचा नहीं पाए और एक षड्यंत्र के तहत राजू पाल की हत्या कर दी गई. इस हत्या के आरोप में अतीक अहमद जेल में बंद है. इस सीट पर 2017 में लाल बहादुर शास्त्री के नाती सिद्धार्थ नाथ सिंह ने पहली बार कमल खिलाया.  

राजनीतिक इतिहास
इस सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो साल 1974 में शहर पश्चिमी सीट से जनसंघ के तीरथलाल विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे. 1977 के विधानसभा चुनाव में हबीब अहमद यहां से विधायक चुने गए. 1984 में यहां के लोगों ने रामगोपाल यादव को विधायक बनाया. 1989 के विधानसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी अतीक अहमद चुनाव जीतकर विधायक बने तो वह यहां से 2002 तक लगातार चुनाव जीतते रहे. वह यहां से पांच बार विधायक निर्वाचित हुए. साल 2004 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर संसदीय सीट से अतीक अहमद सांसद निर्वाचित होकर लोकसभा पहुंचे तो शहर पश्चिमी की सीट खाली हो गई. उपचुनाव में अतीक ने इस सीट से भाई अशरफ को चुनाव लड़ाया, लेकिन अतीक अहमद के ही करीबी रहे गैंगस्टर राजू पाल ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर अशरफ को शिकस्त दे दी.   

2017 में ये रहे नतीजे

प्रत्याशी पार्टी वोट जीत का अंतर
सिद्धार्थ नाथ सिंह बीजेपी 85,518 25,336
रिचा सिंह सपा 60,182  
पूजा पाल बसपा 40,499  

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अतीक अहमद का ऐसा रहा सफर 

1989 में इस विधानसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी  के रूप में अतीक अहमद की पहली जीत हुई. उन्होंने कांग्रेस के पूर्व विधायक गोपाल दास को 8000 मतों से हराया.

1991 में फिर निर्दल प्रत्याशी के रूप में अतीक अहमद जीते. इस बार उन्होंने बीजेपी के रामचंद्र जायसवाल को 15743 मतों से हराया.

1993 में अतीक अहमद तीसरी बार विधायक चुने गए. इस बार उन्होंने बीजेपी के तीरथ राम कोहली को हराया.

1996 में चौथी बार अतीक अहमद समाजवादी पार्टी से चुने गए. इस बार उन्होंने बीजेपी के तीरथ राम कोहली को हराया.

2002 में अपना दल से अतीक अहमद पांचवी बार विधायक चुने गए. इस बार समाजवादी पार्टी के गोपाल दास यादव दूसरे स्थान पर रहे. फिर अतीक अहमद के फूलपुर से सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हो गई. जिसके बाद 2004 में हुए उपचुनाव में बसपा के राजू पाल विधायक चुने गए. 

2007 के उपचुनाव में राजू पाल की हत्या के बाद सहानुभूति की लहर में बहुजन समाज पार्टी ने उनकी पत्नी पूजा पाल को टिकट दिया, जिसमें वह जीत गई. पूजा ने समाजवादी पार्टी के खालिद अजीम उर्फ अशरफ को 10322 मतों से हराया.

2012 के विधानसभा चुनाव में पूजा पाल दूसरी बार निर्वाचित हुई. इस बार उन्होंने अतीक अहमद को 8885 मतों से हराया.

वहीं 2017 में मोदी लहर में इस सीट पर भी पहली बार कमल खिला. भाजपा प्रत्याशी सिद्धार्थ नाथ सिंह ने जीत दर्ज की. उन्होंने समाजवादी पार्टी की रिचा सिंह को 25336 मतों से हराया.

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जिले में सबसे अधिक मतदाता
मतदाताओं का समीकरण देखें तो जिले में सबसे अधिक मतदाता इसी सीट पर हैं. चार लाख 50 हजार से अधिक मतदाताओं की इस सीट पर करीब 85 हजार मुस्लिम मतदाता हैं. पिछड़ी जातियां 65 हजार, दलित 60 हजार, पाल 40 हजार, पटेल 30 हजार, मौर्य 35 हजार, वैश्य 30 हजार, ब्राह्मण 20 हजार मतदाता है.