डीएनए हिंदी: जब भी कोई व्यक्ति किसी तरह की चालाकी या ठगी करता है तो आप उसे झट से 420 कह देते हैं. चार सौ बीस कहीं का... ज्यादा 420 हो रहा है, चार सौ बीसी मत दिखा... ऐसे वाक्य भी आम जिंदगी में कई बार सुनने को मिलते रहते हैं. कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों कहा जाता है!
इसकी वजह है भारतीय दंड संहिता की धारा 420. ठगी, बेईमानी और धोखाधड़ी करने वाले लोगों को पुलिस धारा 420 के तहत ही गिरफ्तार करती है. यहीं से आम बोलचाल में भी यह प्रचलित हो गया है. अब इस नंबर को ठगी और बेईमानी से जोड़कर देखा जाता है.
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क्या होती है धारा 420
कानून के मुताबिक धारा 420 के तहत दर्ज होने वाले अपराध हैं- किसी व्यक्ति के साथ धोखा करना, बेईमानी से किसी दूसरे व्यक्ति की बहुमूल्य वस्तु या संपत्ति में परिवर्तन करना या उसे नष्ट करना या इस काम में किसी दूसरे की मदद करना. इसके साथ ही कोई व्यक्ति स्वार्थ के लिए दूसरे के साथ जालसाजी करके, नकली हस्ताक्षर कर के, आर्थिक या मानसिक दबाव बनाकर दूसरे की संपत्ति को अपने नाम करता है तो उसके खिलाफ भी धारा 420 लगाई जाती है.
कैसे होती है मामलों की सुनवाई
धारा 420 के तहत दर्ज होने वाले मामलों की सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की अदालत में होती है. इस धारा के तहत दर्ज अपराधों में अधिकतम 7 साल की सजा होती है. इसमें सजा के साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इसमें थाने से बेल नहीं मिलती है, अदालत की अनुमति से दोनों पक्षों के बीच सुलह भी हो सकती है.
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