School Bullying है बच्चों के लिए हानिकारक, बचाने के लिए Parents को अपनाने चाहिए ये टिप्स

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 02, 2022, 03:49 PM IST

Photo Credit: Zee News

School Bullying बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकती है. उन्हें इससे कैसे बचाया जा सकता है? देखिए अभिभावकों के लिए ज़रुरी टिप्स.

डीएनए हिंदीः किसी को डराना, धमकाना और परेशान करना बुलिंग (Bullying) कहलाता है. स्कूल (School) के दौरान भी बच्चे अक्सर बुलिंग का शिकार हो जाते हैं. इससे बच्चों के ना सिर्फ मानसिक बल्कि शारीरिक स्वास्थय (Physical & Mental Fitness) भी पर बुरा असर पड़ता है. अगर आपके बच्‍चे के व्‍यवहार में अचानक बदलाव नजर आए या वो स्कूल जाने से इंकार करे तो हो सकता है कि आपका बच्‍चा भी बुल‍िंग का श‍िकार हो रहा है. ऐसा होने पर बच्चे की टीचर और उसके दोस्तों से बात करनी चाहिए. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से. 

बुलिंग के प्रभाव के बारे में जानिए
बुलिंग का सबसे बड़ा प्रभाव यही है कि इसके बाद बच्चे सामान्य नहीं रहते हैं. वे डरे और घबराए हुए दिखते हैं. ऐसा होने पर बच्चा किसी भी बात या काम पर भी ध्यान नहीं लगा पाता है. इससे बच्चे की पढ़ाई भी प्रभावित होती है. बुलिंग आत्म विश्वास को भी प्रभावित कर देती है. बहुत से बच्चे बुलिंग का शिकार होने पर खाना भी बंद कर देते हैं. खेलने में मन ना लगना भी बुलिंग का एक प्रभाव है.

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पेरेंट्स को अपनाने चाहिए यह टिप्स
बच्चे के स्वभाव में अचानक बदलाव देखकर पेरेंट्स बहुत परेशान हो जाते हैं लेकिन परेशान होने के बजाए कुछ टिप्स अपनाएं जा सकते हैं 

  1. बच्चे के स्वभाव में थोड़ा सा भी बदलाव दिखने पर पेरेंट्स को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. शुरुआत में ही बच्चें की दिक्कत को समझा जाए तो आगे होने वाली दिक्कतों से बचा जा सकता है. 
  2. स्‍कूल में टीचर्स और स्टाफ से म‍िलें, इस समस्‍या का सही समाधान न‍िकालें ताकि बच्‍चे को स्‍कूल जाने में परेशानी का सामना ना करना पड़े.
  3. बच्‍चों को तन और मन से फ‍िट बनाएं और उसे डांस, शतरंज, गेम्‍स, मार्शल ऑर्ट्स आद‍ि स‍िखाएं ताकि वह किसी से डरे नहीं. साथ ही खेलों में भाग लेने से बच्चा आत्म-विश्वासी बनता है. 
  4. बच्चों को शुरुआत से ही गलत के खिलाफ आवाज उठाने की आदत डाली जाए तो बच्चें बुलिंग होने पर पेरेंट्स को सबकुछ बता देते हैं. 
  5. इसके अलावा आपको बच्चे को काउंसलर के पास ले जाना चाह‍िए इससे बच्‍चे को ड‍िप्रेशन की समस्‍या नहीं होगी. काउंसलर बच्चों के साथ बेहतर डील कर पाते हैं. 

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