डीएनए हिंदी : बोर्ड परीक्षाएं सिर पर हैं. स्टूडेंट्स अपनी तैयारियों में जुटे हैं. पर अक्सर ऐसा होता है कि मन तमाम तरह की आशंकाओं से घिरा रहता है. कभी-कभी डर लगता है कि परीक्षा में मार्क्स कम आए तो क्या होगा? क्या जवाब देंगे अपने पैरेंट्स को? क्या मुंह दिखाएंगे अपने दोस्तों को? अपनी सोसायटी की मजाक उड़ाती आंखों का सामना कैसे करेंगे?
ये वो सवाल हैं जो अक्सर बोर्ड स्टूडेंट्स के मन में उठते हैं. मैथ्स और साइंस के सवाल उतने नहीं डराते जितने मन में उठने वाले ये सवाल डराते हैं. आखिर इस परेशानी का कोई इलाज है क्या? बिल्कुल है. और आज हम इन्हीं सवालों को दूर भगाने के सुझाव लेकर आपके सामने हाजिर हुए हैं.
भाड़ में जाए दुनिया, हम बजाएं हारमोनिया
लोक में प्रचलित यह बहुत ही सस्ता मुहावरा है. याद करें कि बातचीत में दोस्तों के बीच आपने भी इसका इस्तेमाल बहुत बार किया होगा. लेकिन इस सस्ते मुहावरे में एक गंभीर बात भी छुपी है. वह बात यह है कि बड़ी से बड़ी चिंता से बेफिक्र रहना. अपनी मस्ती में डूबे रहना. दुनिया की झंझटों से मतलब न होना. यही काम आपको अपनी परीक्षा की तैयारी के दौरान करनी चाहिए. यानी फोकस में अपनी पढ़ाई और तैयारी. बाकी दुनिया के बारे में सोचकर टेंशन लेने का कोई फायदा नहीं.
कहना बहुत आसान है, पर...
ऊपर की बात पढ़कर यही बात आपके मन में उठी होगी. आपने मन ही मन सोचा होगा 'कहना आसान है कि टेंशन न लो, पर क्या ये संभव है कि परीक्षा सामने हो तो उसकी टेंशन नहीं होगी. चलिए मान लिया कि टेंशन होगी, लेकिन क्या टेंशन लेने से टेंशन खत्म हो जाएगी? नहीं न? तो फिर टेंशन दूर करने का एकमात्र तरीका है कि हम अपने काम पर ध्यान दें, बाकी बातें बेकार हैं. यानी अभी हमारा काम है पढ़ना, तो फिर हम सिर्फ अपनी पढ़ाई करें. लेकिन क्या ये पढ़ाई चौबिसों घंटे करें?
इसे भी पढ़ें : मजबूत हड्डियों के लिए फ्रूटफुल हैं ये 7 ड्राइ फ्रूट्स, अपनी डाइट में तुरंत कर लें शामिल
ना, न पढ़ें 24x7
जैसे मैथ्स का सूत्र होता है न (a+b)²= a²+b²+2ab, वैसे ही संस्कृत का एक छोटा सा सूत्र है 'अति सर्वत्र वर्जयेत्', इसका मतलब है अति हमेशा वर्जित है यानी किसी भी चीज की अति कभी अच्छी नहीं होती. खूब खेलना भी बुरा है, तो खूब पढ़ना भी बुरा है, वैसे ही खूब खाना हो या खूब सोना - सब बुरा है. सबसे बेहतर रास्ता है संतुलन. खुद के लिए नियम तय करें कि कब पढ़ना है, कब मनोरंजन करना है, कब खाना है, कब सोना है. जरूरत पड़ने पर इनमें हेर-फेर भी किया जा सकता है. यानी, अगर लगा कि पढ़ते-पढ़ते थक गए तो फिर पढ़ाई छोड़कर वो काम करें जिससे आप रिलैक्स हो सकें. लेकिन याद रखें कि रिलैक्स मोड में हमेशा रहना है, लेकिन हमेशा रिलैक्स ही नहीं करते रहना है.
इसे भी पढ़ें : बार-बार बीमार पड़ रहा है बच्चा तो इन 5 टिप्स को करें फॉलो, मजबूत होगा इम्यून सिस्टम
खुद पर करें भरोसा
यकीन मानिए कि इस तरह आपका खुद पर भरोसा बनेगा. बाकियों की चिंता मत कीजिए, बस खुद से सवाल पूछें कि क्या आप अपनी पढ़ाई से संतुष्ट हैं, अगर नहीं में जवाब मिला तो तब तक अपने मिशन में लगे रहें जब तक आपको पूरी तरह संतुष्टि न मिल जाए, कॉन्फिडेंट रहें. यही कॉन्फिडेंस आपको जीत दिलाएगा, कामयाब बनाएगा. आपको कॉन्फिडेंस और ओवर कॉन्फिडेंस के बीच का फर्क समझना होगा. फिर देखें कामयाबी झख मारकर आपके पीछे भागेगी.
(Disclaimer: ये टिप्स सिर्फ ध्यान दिलाने के लिए हैं. इन पर अमल करने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें.)
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.