Bhupen Hazarika Birthday: ब्रह्मपुत्र के इस शायर को उनके गीतों के साथ इस बात के लिए भी याद किया जाता है

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 08, 2022, 02:52 PM IST

Bhupen Hazarika Birthday 1926 में पैदा हुए भूपेन को ब्रह्मपुत्र का शायर भी कहा जाता था. जानिए उनके जीवन के इन पक्षों के बारे में भी...

डीएनए हिंदी : आज भूपेन हज़ारिका (Bhupen Hazarika Birthday) जीवित होते तो 96 साल के हो जाते.  असम के तिनसुकिया ज़िले में आज के ही दिन 1926 में पैदा हुए भूपेन को ब्रह्मपुत्र का शायर भी कहा जाता था. दिल हूम-हूम करे से लेकर ओ गंगा बहती हो क्यों सरीखे गीतों को अपनी कला से सजाने वाले हज़ारिका बहु-प्रतिभाशाली थे. गीतों को स्वयं लिखकर, उसे खुद ही स्वर देते थे. रुदाली फिल्म के गाने दिल हूम-हूम करे पर उन्होंने ऐसा जादू चलाया था कि  लोगों की आंखों से आंसू निकल पड़े थे. 

भारत रत्न से लेकर दादा साहेब फाल्के सब मिला था भूपेन दा को 
ब्रह्मपुत्र के इस शायर (Bard of Brahmaputra) को लोग मुहब्बत में भूपेन दा बुलाते थे. 2019 में भारत रत्न से नवाज़े गए भूपेन हज़ारिका को पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण, दादा साहेब फाल्के सभी अलंकरण मिल चुके हैं. 5 नवम्बर 2011 को लगभग 85 साल की उम्र में दुनिया को विदा कह देने वाले ब्रह्मपुत्र के इस कवि ने अपने करियर की शुरुआत ऑल इण्डिया रेडियो से की थी. 13 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला गीत लिखा था और दस साल की उम्र में पहली बार किसी भी गीत को अपना स्वर दिया था. 

जन आंदोलन से सरोकार था हज़ारिका का 
अपने लयबद्ध गीतों के अतिरिक्त जन आंदोलन के लिए भी भूपेन हज़ारिका (Bhupen Hazarika) को बार-बार याद किया  जाता है. हज़ारिका को इसलिए भी बहुत सम्मान मिलता है कि उनकी बड़ी भूमिका असम को एक करने में रही. उन पर अफ्रीकन अमेरिकन सिंगर और उनके मित्र पॉल रॉबिनसन का बेहद प्रभाव था और वह उन पर भी दिखा कि उन्होंने हमेशा इन्क्लूसिविटी की तरफ़दारी की. 

Onam 2022: इन जगहों पर परोसी जाती है "ओणम साद्या" की पारंपरिक थाली, जरुर करें ट्राई

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Bhupen Hazarika