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Retro Walking से शरीर और दिमाग का कनेक्शन होता है बेहतर, मसल्स में आती है मजबूती, जानिए रिवर्स वॉकिंग के ये 8 फायदे

Reverse Walking: नॉर्मल वॉकिंग की तुलना में रिवर्स वॉकिंग स्वास्थ्य के लिए कहीं ज्यादा लाभदायक साबित होते हैं, यहां जानिए इसके 8 फायदों के बारे में. 

डीएनए हिंदी: 8 Health Benefits of Reverse Walking- हर कोई फिट और हेल्दी तो रहना चाहता है. लेकिन, इसके लिए लोग जिम में पसीना बहाना या फिर हैवी एक्सरसाइज नहीं करना चाहते हैं. अगर आप भी इन्हीं लोगों में से एक हैं तो आपके लिए वॉकिंग यानी पैदल चलना फिट रहने का एक आसान और बेहतर ऑप्शन है. इसलिए आमतौर पर लोग वॉकिंग पर जाना पसंद करते हैं. लेकिन, क्या आप रेट्रो वॉकिंग के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसमें आपको उल्टा चलना (Reverse Walking) होगा. जी हां, रेट्रो वॉकिंग का मतलब होता है रिवर्स वॉकिंग या उल्टा चलना (Health Tips). 

शुरुआत में इस तरीके को अपनाना थोडा मुश्किल होगा (Benefits of Walking Backward) लेकिन, कुछ समय और थोड़ी प्रैक्टिस के बाद आपका बैलेंस बनने लगेगा और आप आसानी से यह कर पाएंगे. शरीर की सेहत हो या दिमाग की सेहत पीछे की ओर चलने से (Health Benefits of Walking Backward) हेल्थ को काफी ज्यादा फायदा होता है. आइए जानते हैं रेट्रो वॉकिंग इसके फायदों के बारे में. 

1.बर्न होती है ज्यादा कैलोरी (Burns More Calories)

बर्न होती है ज्यादा कैलोरी (Burns More Calories)
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नार्मल वॉकिंग की तुलना में रेट्रो या रिवर्स वॉकिंग करने से हर मिनट 40 फीसदी कैलोरी बर्न होती है. इसके अलावा रेट्रो वॉक करने से मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है. इसके साथ ही अगर आप जल्दी वजन घटाना चाहते हैं, तो इसके लिए रोजाना सुबह रेट्रो वॉकिंग जरूर करें. 



2.मसल बैलेंस होता है बेहतर (Improves Muscle Balance)

मसल बैलेंस होता है बेहतर (Improves Muscle Balance)
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रिवर्स वॉकिंग से मसल्स के बैलेंस में सुधार होता है. इसके अलावा इस वॉकिंग में कई तरह की और कम यूज़ होने वाली मसल्स भी शामिल होती हैं, जिससे अन्य चोटों को रोकने में मदद मिलती है. साथ ही ये शरीर की हड्डियों और जोड़ों को झटके को ज्यादा असरदार तरीके से एब्जॉर्ब करने की ताकत देता है. 



3.दिल के लिए है फायदेमंद (Good For Heart) 

दिल के लिए है फायदेमंद (Good For Heart) 
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रेट्रो वॉकिंग से आपका दिल और भी तेजी से पंप करता है जिससे ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है और इससे दिल और सांस से जुड़ी बीमारियां भी नहीं होती. इतना ही नहीं, रेट्रो वॉकिंग करने से टीनएज लड़कियों के शरीर की संरचना में भी बेहतरीन बदलाव आता है. 



4.बढ़ती है पैरों की मजबूती  (Makes Legs Stronger)

बढ़ती है पैरों की मजबूती  (Makes Legs Stronger)
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रेट्रो वॉकिंग पैरों की कम एक्टिव मसल्स को मजबूत बनाने में मदद करता है. इसके अलावा जब आप पीछे की ओर चलते हैं तो यह आपके क्वाड्रिसेप्स के उलट आपके हैमस्ट्रिंग को फ्लेक्स करती है और मसल्स को मजबूत को मजबूत करने में मदद करती है. इसके अलावा यह काफ मसल, ग्लूट्स और क्वाड्रीसेप्स पर भी ज्यादा असर डालता है.



5.कम पड़ता है घुटनों पर दबाव (Less Pressure On The Knees) 

कम पड़ता है घुटनों पर दबाव (Less Pressure On The Knees) 
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ऑस्टियोआर्थराइटिस से जूझ रहे लोगों के लिए रिवर्स वॉकिंग बेहद ही फायदेमंद साबित हो सकती है. क्योंकि पीछे की ओर चलने से रेट्रो लोकोमोशन दर्द को कम करता करता है और इससे पैरों को ताकत मिलती है. साथ ही इससे घुटने के दर्द से राहत मिलती है.



6.बेहतर होता है शरीर और दिमाग का संबंध (Improves Body & Mind Connection)

बेहतर होता है शरीर और दिमाग का संबंध (Improves Body & Mind Connection)
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रिवर्स वॉकिंग से शरीर और दिमाग का कनेक्शन और बेहतर होता है. जिसकी वजह से मसल्स का कोऑर्डिनेशन भी बेहतर होता है. ऐसे में इससे आपके दिमाग की सोचने-समझने की क्षमता और फोकस व कॉन्सन्ट्रेशन में भी सुधार होता है. 



7.कमर और पीठ दर्द से मिलता है आराम (Back Pain Relief)

कमर और पीठ दर्द से मिलता है आराम (Back Pain Relief)
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आजकल घंटों कंप्यूटर के सामने बैठकर काम करने से कमर और पीठ का दर्द बढ़ जाता है. ऐसे में इससे न सिर्फ पॉश्चर बिगड़ता है, बल्कि रीढ़ की हड्डी पर भी दबाव पड़ने लगता है. इसके अलावा पीछे की ओर चलने से पीठ दर्द कम होता है क्योंकि इससे एक्सटेंसर एक्टिव हो जाते हैं और इसमें ग्लूटस मैक्सिमस मसल मुख्य रूप से शामिल होते हैं. 



8.पैर के कम ट्रेन्ड हिस्से होते हैं ट्रेन (Train the less Trained Part of Leg)

पैर के कम ट्रेन्ड हिस्से होते हैं ट्रेन (Train the less Trained Part of Leg)
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रिवर्स वॉकिंग पैर के कम ट्रेन हिस्सों जैसे पिंडली यानी घुटने के नीचे पैर का आगे वाला हिस्सा आदि को ट्रेन करता है. इसे टिबियलिस एंटीरियर मसल के रूप में जाना जाता है  जो आगे और पीछे का बैलेंस बनाने में मदद करता है.



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