Emotional Stress: अगर आपको अपना काम नहीं है पसंद तो बढ़ सकता है Back Pain, जानिए क्या कहती है Research

एक रिसर्च में चौंकाने वाली एक बात सामने आई है कि जो काम आपको पसंद नहीं है, अगर आप वो कर रहे हैं तो आपको बैक पेन जरूर होगा. सुनकर आश्चर्य लगेगा लेकिन यह सच है क्योंकि इससे हमारी भावनाएं प्रभावित होती हैं.2010 में ग्रेट ब्रिटेन के वारविक यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च हुई थी, इसमें बैक पेन से पीड़ित लोगों को अपनी स्थिति के बारे में सोचने को और उनसे स्वयं में व्यवहार संबंधी कुछ बदलाव लाने को भी कहा गया था.  

डीएनए हिंदी: Office में काम कर रहे हैं या फिर घर पर, महिला हो या पुरुष हर किसी को आजकल बैक पेन की समस्या बहुत ज्यादा हो गई है. इस बैक पेन के पीछे कई तरह की वजह शामिल है. हमारे बैठने के धरण, लाइफस्टाइल, खान-पान और इमोशनल स्ट्रेस इसकी बड़ी वजह है.

 

इमोशनल स्ट्रेस से बढ़ता है बैक पेन

रिसर्च के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि जिन लोगों को उनक काम पसंद नहीं है उन्हें कमर दर्द ज्यादा होता है. यह दर्द कम करने का एक उपाय भी है. यह कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (cognitive behavioral therapy) से कम हो सकता है.

क्या कहती है रिसर्च

शोधकर्ताओं ने माना कि बैक पेन साइकोलॉजिकल पेन नहीं है, बल्कि यह फिजिकल प्रॉब्लम है। लेकिन इस दर्द के बारे में मरीज जिस तरह से सोचते हैं, उनकी यह सोच उस दर्द को मैनेज करने में प्रभावी हो सकती है. 
 

फीजिकल प्रॉब्लम से बढ़ता है पेन

डॉक्टर्स बताते हैं कि बैक पेन फीजिकल प्रॉब्लम की वजह से ज्यादा होता है, जैसे कैल्शियम, विटामिन की कमी, बैठने के ढंग की वजह से ये पेन बढ़ जाता है. 
 

नेगेटिव विचारों से होता है बैक पेन

लेकिन शोध में ये बातें सामने आई है कि ये साइकोलॉजिकल भी है. अगर हम तनाव में हैं तो पेन ज्यादा होगा क्योंकि तब हमारी मानसिक स्थिति कमजोर रहती है. हमारी मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. नकारात्मक विचारों का हमारी मांसपेशियों और स्पाइन पर बहुत असर होता है. 

क्या है सीबीटी

इसमें कॉग्नेटिव बिहेवियरल थेरेपी बहुत कामकर है. इसमें आपके व्यवहार को समझा जाता है. प्राणायम और योगा भी बहुत लाभकारी है