नाम की ही तरह पेड़ की भांति एक पैर पर खड़े होकर संतुलन बनाया जाने वाला वृक्षासन व्यक्ति के लिए बहुत लाभकारी माना गया है. इस योगासन से फोकस और शरीर पर संतुलन हासिल होती है.
अभ्यास प्रक्रिया: सबसे पहले सावधान मुद्रा में सीधे खड़े हो जाएं. दोनों हाथों को जांघों के पास रखें और दाएं घुटने को मोड़ते हुए उसे बाईं जांघ पर रखें. बाएं पैर को जमीन पर मजबूत और सीधा रखें. फिर दोनों हाथों को सीधा उठाएं और नमस्कार मुद्रा में सीधे खड़े हो जाएं. गहरी सांस लेते रहें.
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अधोमुख श्वानासन शरीर में खिंचाव लाता है और मजबूती देता है. इससे तनाव, डिप्रेशन और अनिद्रा जैसी गंभीर समस्याएं दूर हो जाती हैं.
अभ्यास प्रक्रिया: योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं. फिर सांस खींचते हुए पैर और हाथों के बल शरीर को उठाएं और टेबल जैसी आकृति बनाएं. फिर सांस छोड़ते हुए उलटे 'V' का आकार बनाएं और कुछ देर इसी मुद्रा में रहें.
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पीठ की ऐंठन को दूर करने के लिए सेतुबंधनासन को प्रभावी माना गया है. अधोमुख श्वानासन के विपरीत इस आसन में शरीर आगे की बजाय पीछे की तरफ झुकाया जाता है.
अभ्यास प्रक्रिया: योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं. सांसो की सामान्य गति बनाएं रखें. फिर दोनों हाथों को बगल में रखें. धीरे-धीरे अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर हिप्स के पास ले आएं और फिर पीठ को जितना हो सके ऊपर की तरफ उठा लें. कुछ देर सांस रोक कर रखें. फिर सांस छोड़ते हुए जमीन पर वापस आ जाएं. पैरों को विश्राम मुद्रा में रखें और 10 से 15 सेकेंड तक आराम करें.
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सूर्य नमस्कार को सबसे प्रभावी योग अभ्यासों में से एक माना गया है. इसकी मदद से शरीर लचीला रहता है और शरीर गर्म रहता है. इसकी शुरुआत के लिए इस आसन को छोटे-छोटे भागों में बांट लें और फिर कुछ समय बाद इस पूरे आसन का अभ्यास करें.
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फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने के लिए और तंत्रिका कोशिकाओं में सुधार लाने के लिए सूर्य भेदन प्राणायाम का अभ्यास किया जाता है. यह आपके शरीर के तापमान को सामान्य रखने में भी मदद करता है.