ऐसा कहा जाता है कि चंदेरी की खोज भगवान श्री कृष्ण की बुआ के बेटे शिशुपाल ने इसकी खोज की थी. यहां विख्यात संगीतकार बैजू बावरा की कब्र के साथ- साथ और भी कई एतिहासिक स्थल हैं.
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चंदेरी की सड़ियों में लगातार समय के साथ फैब्रिक और टेक्सचर में बदलाव होता गया जिस कारण चंदेरी की साड़ियों की मजबूती पर असर पड़ा है. इसलिए अब इन साड़ियों को ज्यादा समय तक फोल्ड करके रखने में ये कट जाती है.
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चंदेरी में आपको 3 तरह के फैब्रिक्स मिल जाएंगे, जिसमें प्योर सिल्क, चंदेरी कॉटन और सिल्क कॉटन शामिल हैं. तीनों तरह के फैब्रिक्स में चंदेरी की साड़ियां बेहद सुंदर लगती है.
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चंदेरी में कई तरह के पैटर्न्स मिल जाएंगे. इसमें नलफर्मा, डंडीदार, चटाई, जंगला और मेहंदी डिजाइन वाली साड़ियां और कपड़े सबसे ज्यादा फेमस हैं.
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चंदेरी की सड़िया हथकरधा से बनाई जाती है, इनको तैयार होने में करीब 1 से 2 महीने लगते हैं. चंदेरी की साड़ियों की कीमत 2 हजार से लेकर 10 हजार तक होती है.