Maharana Pratap Jayanti :  मुग़ल बादशाह अकबर की नाक में दम करने वाले योद्धा के बारे में कुछ रोचक जानकारियां 

Mahrana Pratap Jayanti : जानते हैं राणा से जुड़ी कुछ रोचक चीज़ों के बारे में, जिसके बारे में दुनिया को शायद थोड़ा कम मालूम हो. 

डीएनए हिंदी : आज मेवाड़ के उस राणा के जन्म की तारीख़ है जिन्होंने अपने शौर्य के बूते मुगलों के छक्के छुड़ा दिए थे. किंवदंती बन चुके राणा प्रताप के बारे में न जाने कितने किस्से प्रचलित हैं. कई लोग कहते हैं कि उनका भाला कई क्विंटल का था तो कई भामा शाह और उनके अपने घोड़े चेतक से उनकी दोस्ती की कसमें खाते हैं. आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ रोचक चीज़ों के बारे में, जिसके बारे में दुनिया को शायद थोड़ा कम मालूम हो. ज्ञात हो कि आज महाराणा प्रताप का जन्मदिन हिंदू पंचांग के अनुसार है. आज ही रम्भा तीज भी है. लैटिन कैलेंडर के मुताबिक राणा का जन्मदिन 9 मई को होता है. 

मीरा बाई और राणा प्रताप एक ही परिवार से थे

यह जानकारी बहुत कम लोगों को है कि भक्ति काल की प्रमुख कवी और कृष्ण भक्त मीरा बाई और राणा प्रताप एक ही परिवार से थे. मीरा बाई दरअसल राणा प्रताप की ताई थीं. वे राणा के पिता उदय सिंह द्वितीय के बड़े भाई राणा भोजराज की पत्नी थीं. 

कभी अकबर के सामने नहीं झुके राणा प्रताप 


अपने शासन का विस्तार करते हुए अकबर ने कई राजपूत राजाओं को अपने पक्ष में कर लिया था. कुछ राजपूत राजाओं के साथ पारिवारिक सम्बन्ध भी स्थापित किए थे पर राणा प्रताप कभी अकबर के सामने नहीं झुके. कबर से युद्ध हारने के बाद उन्होंने समर्पण करने की जगह जंगलों में भटकना मंजूर किया. 

लोग कहते हैं महाराणा प्रताप को जंगल में घास की रोटी खानी पड़ी थी 


हल्दीघाटी का युद्ध हारने के बाद चित्तौड़ पर मुगलों का कब्ज़ा हो गया था. उस वक़्त राणा अपने आप को मुगलों के अधीन होने से बचाने के लिए जंगलों में भटकने लगे और साथ ही अपनी शक्ति को फिर से एकत्रित करने की  कोशिश में लग गए. कहा जाता है कि वह समय उनके लिए बेहद मुश्किल था, जिसे उन्होंने घास की रोटियां खाकर बिताई थीं.  कन्हैया लाल सेठिया ने इस पर एक कविता 'हरे घास री रोटी' भी लिखी है. 

राणाप्रताप की मदद के लिए रणथम्भौर के किलेदार ने अपनी सारी सम्पत्ती दे दी 

भामाशाह रणथम्भौर के किलेदार भामा शाह राणा प्रताप के अनन्य मित्र थे. उन्हें जब राणा के जंगल-जंगल भटकने के बारे में पता चला, उन्होंने राणा को अपनी सारी संपत्ति दे दी. माना जाता है कि भामा शाह ने राणा को इतना धन दिया था कि 25000 सैनिकों को 12 साल के लिए रखा जा सकता था.