बनारसी साड़ी उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में बनाई जाती है, ये साड़ी महीन रेशमी कपड़े और नाजुक जरी से बनकर तैयार होती है. जो महिलाओं को खूब पसंद आती है. ये साड़ियां लालित्य और सुंदरता की प्रतीक मानी जाती हैं.
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कांजीवरम साड़ी तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम शहर में बनाई जाती हैं और अपनी खूबसूरत रेशम की कढ़ाई और चमकीले रंगों के लिए जानी जाती हैं. इन साड़ियों को धन और प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है.
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ये साड़ियां गुजरात राज्य में बनाई जाती हैं, जिन्हें भारत की सबसे महंगी साड़ियों में से एक माना जाता है. इन साड़ियों को एक जमाने में केवल शाही और कुलीन परिवार की महिलाएं ही पहना करती थीं.
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लखनऊ की चिकनकारी वर्क कढ़ाई वाली साड़ियां देश की सबसे अच्छी साड़ियों में से एक हैं, जो अपने नाजुक कढ़ाई के काम के लिए जानी जाती हैं. इन साड़ियों को लालित्य और अनुग्रह का प्रतीक माना जाता है.
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ये साड़ियां महाराष्ट्र राज्य में बनाई जाती हैं, जो अपनी जटिल रेशम की कढ़ाई और चमकीले रंगों के लिए जानी जाती हैं. इन साड़ियों को धन और स्थिति का प्रतीक माना जाता है.
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ये साड़ियां राजस्थान के कोटा शहर में बनाई जाती हैं, जो अपनी बढ़िया सूती कपड़ों और नाजुक बुनाई के पैटर्न के लिए जानी जाती हैं. इन साड़ियों को लालित्य और परिष्कार का प्रतीक माना जाता है.
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ये साड़ियां पश्चिम बंगाल राज्य में बनाई जाती हैं, जो अपनी जटिल रेशम कढ़ाई और चमकीले रंगों के लिए फेमस हैं. इन साड़ियों को धन और स्थिति का प्रतीक माना जाता है.
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ये साड़ियां गुजरात में बनाई जाती हैं, जिन्हें बेहद ही अनूठे ढंग से तैयार किया जाता है. इन साड़ियों को लालित्य और परिष्कार का प्रतीक माना जाता है.
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ये साड़ियां आंध्र प्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना राज्यों में बनाई जाती हैं, जो अपनी अनूठी रंगाई तकनीक के लिए जानी जाती हैं. इन साड़ियों को लालित्य और परिष्कार का प्रतीक माना जाता है.
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ये साड़ियां ओडिशा में बनाई जाती हैं, जो अपनी इकत रंगाई तकनीक के लिए जानी जाती हैं. इन साड़ियों को लालित्य और परिष्कार का प्रतीक माना जाता है.