डीएनए हिंदी: तिरंगे पर केवल केसरिया, सफेद और हरा ही नहीं, बल्कि नीला रंग भी होता है. 5 अगस्त 1947 को भारत की आजादी से कुछ दिन पहले 22 जुलाई 1947 को आयोजित संविधान सभा की बैठक के दौरान भारत के राष्ट्रीय ध्वज को उसके वर्तमान स्वरूप में अपनाया गया था.
15 अगस्त 1947 के बाद भारत के झंडा के लिए "तिरंगा" शब्द को अपनाया गया था. भारत के राष्ट्रीय ध्वज के शीर्ष पर गहरे केसरिया बीच में सफेद और नीचे में हरा रंग एक बराबर अनुपात में है। जबकि सफेद रंग के केंद्र में एक नीला पहिया है जो चक्र का प्रतिनिधित्व करता है. इसमें 24 तिलिया हैं. तो
हर रंग का एक अपना भाव होता है और सभी रंगों का संबंध अलग-अलग ग्रहों से होता है. अलग-अलग ग्रहों से संबंधित होने के कारण ही इन रंगों का जीवन पर प्रभाव पड़ता है.चलिए आज झंडे में मौजूद इन रंगों का महत्व समझें.
केसरिया- ये रंग शक्ति का प्रतीक है. केसरिया रंग ग्रहों के राजा सूर्य का रंग होता है और सूर्य को आत्मा, आत्मविश्वास, तेज का कारक भी माना गया है. केसरिया रंग उगते हुए सूरज का रंग होता है जो व्यक्ति को मेहनती, आत्मनिर्भर और आत्मबल बढ़ाने का काम करता है. ये रंग व्यक्तित्व को निखारता है. वहीं केसरिया रंग गुरु से भी संबंधित होता है जो धर्म और त्याग का भी सूचक है.
सफेद रंग- सफेद रंग शांति का प्रतीक है और वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को सफेद रंग कारक बताया गया है. शुक्र ग्रह से भी इस रंग का संबंध है. चंद्रमा मन, माता, ममता, सौम्यता प्रदान करने वाले ग्रह के रूप में जाना जाता है. वहीं शुक्र ग्रह सौंदर्य, भौतिकता, कला का कारक है. तिरंगे में सफेद रंग शांति का संदेश के साथ ही आपसी समता, एकता और प्रेम का भाव पैदा करता है.
हरा रंग- तिरंगे में मौजूद हरा रंग संपन्नता और हरियाली का प्रतीक है और वैदिकशास्त्र में ये बुध ग्रह से जोड़कर देखा जाता है. बुध तकनीक, तार्किक क्षमता, व्यवसाय विकास करने वाला ग्रह माना गया है. हरा रंग प्रकृति प्रेम, मन शांति और नेत्र के लिए बेस्ट माना गया है.
नीले रंग -तिरंगे के चक्र में नीला रंग शनि ग्रह का कारक है. शनि न्याय का देवता हैं और एकसमान ही वह अपनी नजर सब पर रखते हैं. ये रंग निरंतर विकास का प्रभाव देता है.
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