डीएनए हिंदीः कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) शरीर में कई हार्मोन और कोशिकाएं बनाता है. अगर शरीर में कोलेस्ट्रॉल नहीं होगा तो हम ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह सकते हैं. लेकिन इसके उलट अगर शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल ज्यादा बनने लगे तो भी हमारी जान पर संकट आ जाता है. खराब कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल-लो डेंसिटी लिपिड (Ldl-Low Density Lipid) कहा जाता है. बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो हार्ट अटैक (Heart Attack) स्ट्रोक (Stroke) का खतरा बढ़ जाता है.
खराब कोलेस्ट्रॉल धमनियों में वसा की तरह जम जाता है (यह एक प्रकार का वसा होता है जो चिपचिपे मोम की तरह होता है.) और रक्त वाहिकाओं के माध्यम से हृदय तक पहुंच जाता है. हृदय एक पंपिंग मशीन है, जिसमें रक्त वाहिकाओं के माध्यम से पहुंचता है और वहां से रक्त शुद्ध होकर शरीर के सभी हिस्सों में पहुंचता है, लेकिन गंदा कोलेस्ट्रॉल धमनियों में फंस जाता है और जीवन के लिए खतरा बन जाता है. वास्तव में दो प्रकार के कोलेस्ट्रॉल होते हैं. मनुष्य के लिए अच्छा कोलेस्ट्रॉल बहुत जरूरी है. यह एक प्रकार का वसा होता है जो चिपचिपे मोम की तरह होता है.
खराब कोलेस्ट्रॉल के लक्षण दिखाई देते ही अगर 4 तरह के योगासन शुरू कर दें तो नसों में फैट जमने ही नहीं पाएगा और जो जमा है वो पिघल कर बाहर आ जाएगा.तो चलिए जानें कौन से है ये 4 योग.
नसों में जमी वसा पिघाल देंगे ये 4 योग-These 4 yoga will melt the fat accumulated in the veins
पश्चिमोत्तानासन
योग गुरु स्वामी रामदेव के अनुसार पश्चिमोत्तानासन खराब कोलेस्ट्रॉल को जड़ से खत्म कर सकता है. इसके लिए अपने पैरों को अपने सामने सीधा करके बैठ जाएं. इस स्थिति में आपके पैर आगे की ओर होने चाहिए. धीरे-धीरे अपने धड़ को अपने पैरों की तरफ लाएं और जितना हो सके झुकें.
ऐसा करते समय आपका पेट और छाती आपकी जांघों को छूनी चाहिए. पैर छूते समय अपना चेहरा आगे की ओर रखें. 10-20 सेकेंड तक इसी स्थिति में रहें. आप अपनी सुविधानुसार इसे दोहरा सकते हैं. पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करते समय शरीर के पिछले हिस्से यानि रीढ़ की हड्डी पर जोर दिया जाता है इसलिए इस आसन को पश्चिमोत्तानासन कहा जाता है.
सर्वांगासन
इस पोजीशन में आपको अपने पैरों को अपने सिर के ऊपर रखना है. जिसमें पूरा शरीर कंधों पर संतुलित रहता है. इसके लिए पीठ के बल लेट जाएं और धीरे-धीरे दोनों पैरों को 90 डिग्री तक ऊपर उठाएं. अगर उठाना मुश्किल हो तो हाथ से सहारा दें. याद रखें कि पूरे शरीर का भार आपके कंधों और ऊपरी बांहों पर होना चाहिए, न कि आपके सिर और गर्दन पर. शुरुआत में आप अपनी पीठ के नीचे 2-3 तकिए लगा सकते हैं.
नाड़ी शोधन प्राणायाम
इस आसन के लिए सबसे पहले घुटनों को सीधा और पीठ को सीधा करके बैठ जाएं. दाहिने हाथ की अंगुलियों को मुंह के सामने लाएं. अंगूठे को दायीं नासिका पर और अनामिका को बायीं नासिका पर रखें. सबसे पहले एक नथुने को पिंच करके दूसरे नथुने से सांस लें और फिर दूसरे नथुने को पिंच करके पहले नथुने से सांस लें. इस क्रिया को दोहराएं. बलपूर्वक श्वास न लें. जितनी देर हो सके सांस को रोक कर रखें और फिर छोड़ दें.
बालासन योग
इस आसन को करने के लिए घुटनों के बल सीधे बैठ जाएं. दोनों एड़ियों को आपस में स्पर्श कराएं. गहरी सांस लें और आगे की ओर झुकें. जैसे ही आप अपना पेट नीचे करें, इसे दोनों जांघों के बीच ले जाएं और सांस छोड़ें. इस स्थिति में आपका माथा और हथेलियां फर्श को छूती हुई होनी चाहिए. इससे शरीर में खिंचाव होता है और आप हल्का महसूस करते हैं. इस स्थिति में 10-15 सेकेंड तक रहें. इस योगासन के 4 से 5 सेट रोजाना करें.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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